नई दिल्ली: कोविड-19 महमारी की वजह से भारतीय रेलवे को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इससे उबरने के लिए रेलवे मंत्रालय ने बजट-2021 में केंद्र सरकार से 75 हजार करोड़ रुपए ग्रोस बजटरी सपोर्ट (gross budgetary support-GBS) यानी जीबीएस की मांग की है। रेलवे की ये मांग बजट सत्र 2020-21 के 70,250 करोड़ रुपए से करीब 7 प्रतिशत ज्यादा है। जबकि 2019-20 बजट सत्र में ये राशि 69,967 करोड़ रुपए और 2018-19 में 55,088 करोड़ रुपए थी।
रेलवे मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा है कि उनकी ये मांग वित्त मंत्रालय तक पहुंचा दी गई है। इन अधिकारियों के मुताबिक बजट 2021-22 में रेलवे के कुल बजट के लिए 1,80,000 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। जबकि 75 हजार करोड़ जीबीएस की मांग इससे अतिरिक्त है। यदि रेलवे द्वारा मांगे गए कुल बजट की बात करें तो ये पिछले साल की तुलना में 12.5 प्रतिशत ज्यादा है। रेलवे से जुड़े अधिकारियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय रेलवे के लिए कम से कम 1,70,000 करोड़ रुपए का अनुदान देगा जो पिछली बार से 6 प्रतिशत ज्यादा होगा।
हालांकि इन अधिकारी ने ये स्पष्ट नहीं किया कि यदि 2020-21 की बात करें तो इस साल रेलवे के लिए कुल बजट 1,60,142 करोड़ रुपए था और इसमें जीबीएस के तौर पर 70,250 करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए गए थे। मौजूदा बजट सत्र में मंत्रालय ने नई गॉज लाइ और प्रोजेक्ट्स को दोगुना करने के लिए कुल 35,965 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा था। अधिकारियों के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से ट्रेनों के ठप होने पर रेलवे को तेजी से अपना इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने का बड़ा अवसर मिल गया।
वही रेलवे मंत्रालय में जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यदि कुल बजट में ज्यादा रियायत न भी मिली तो भी कुछ इस तरह की घोषणाएं की जाएंगी जिनकी मदद से रेलवे को नई ट्रेनें शुरु कर बड़े स्तर श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए सेंटर खड़े कर सकता है। इसके अलावा इस बात की भी उम्मीद है कि रेलवे सोलर एनर्जी पर भी बड़े स्तर पर निर्भर हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि इस बजट में हाई स्पीड निजी ट्रेनें सरकार के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल होंगी।
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