नई दिल्लीः मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन 51वें दिन भी जारी है। सरकार और किसान संगठनों में 8 दौर की वार्ता के बाद भी अभी कोई बीच का रास्ता नहीं निकल सका है। सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तो तैयार हैं, लेकिन किसान रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।
किसान आंदोलन के बीच बजट सत्र का पहला दौर 29 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा, जिसमें किसान अहम मुद्दा हो सकते हैं। किसानों को लेकर कड़ी आलोचन झेल रही मोदी सरकार किसानों के लिए बजट में पिटारा खोल सकती है। जवान, किसान और आम इंसान सभी की इस बजट से काफी उम्मीदें हैं कि उनके लिए कुछ खास होगा। हालांकि वित्त मंत्री भी इशारा कर चुकी हैं, इस बार का बजट काफी स्पेशल होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खबर है कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना की रकम को बढ़ाया जा सता है। अभी किसानों को इस स्कीम के जरिए सालाना 6,000 रुपये उनके खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं। अब खबर ये है कि इस रकम को बढ़ाया जा सकता है।
हर साल 6,000 रुपये का मतलब महीने का 500 रुपये, जिसे बढ़ाने को लेकर चर्चा चल रही है। किसानों का कहना है कि 1 एकड़ में धान की खेती पर 3-3.5 हजार रुपये का खर्च होता है, जबकि गेहूं की खेती पर 2-2.5 हजार रुपये खर्च होते हैं, जिन किसानों के पास इससे ज्यादा जमीन होती है उनके लिए 6,000 रुपये की रकम कम है। इसलिए इस राशि को और बढ़ाया जाए ताकि खर्च को पूरा किया जा सके।
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि के लिए बजट आवंटन 1.51 लाख करोड़ रुपये था, जिसे मामूली बढ़ाकर वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 1.54 लाख करोड़ कर दिया गया। इसके अलावा ग्रामीण विकास के लिए आवंटन भी 2019-20 में करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2020-21 में बढ़ाकर 1.44 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।
पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत 2019-20 में 9682 करोड़ से बढ़ाकर 2020-21 में 11,127 करोड़ रुपये और पीएम फसल बीमा योजना के तहत 2019-20 में 14 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2020-21 में 15,695 करोड़ रुपये कर दिया गया।
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