नई दिल्लीः कोरोना वायरस संक्रमण काल से जूझने के बाद भारतीय सरकार पहला बजट एक फरवरी को संसद में पेश करने जा रही है। बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसे लेकर हर किसी को बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगी है कि सरकार उनके लिए क्या नई घोषणा करेगी।
देश में इन दिनों रोजगार की काफी चर्चा है, जिसे सरकार भी गंभीरता से लेना चाहेगी। इसलिए माना जा रहा है केंद्र सरकार रोजगार की दृष्टि से सरकार बजट में कुछ बड़ा ऐलान कर सकती है। बजट के लिए सुझावों को लेकर इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से महामारी का असर शुरू हुआ है, इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए सप्लाई से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
इंडिया रेटिंग्स के सुनील कुमार सिन्हा ने एक नोट में कहा कि अगर डिमांड साइड पर ध्यान नहीं दिया गया तो सरकार और आरबीआई की नीतियों के चलते सप्लाई साइड कितनी भी अच्छी हो जाए, कुछ ही समय में गुड्स और सर्विसेज की पर्याप्त मांग में कमी का असर देखने को मिलेगा।
कुछ हाई फ्रीक्वेंसी इंडेकिटर्स से यह संकेत मिले हैं कि कोरोना से पहले के समय के बराबर उत्पादन स्तर पहुंच चुका था और त्योहारी मांग के चलते इकोनॉमी बेहतर स्थिति में पहुंच गई थी। हालांकि लगातार दो महीने पॉजिटिव ग्रोथ दिखाने के बाद नवंबर 2020 में फैक्ट्री आउटपुट में गिरावट आई। इसका उदाहरण देते हुए सिन्हा ने कहा कि डिमांड साइड को सहारा देना बहुत जरूरी है।
- नीतियो को बदलने का समय
सिन्हा ने कहा कि अपनी नीतियों को बदलने का यह सही समय है और सरकार को सप्लाई के साथ-साथ डिमांड से जुड़ी समस्याएं भी दूर करनी चाहिए, चाहे इससे रिकवरी प्रोसेस धीमी हो जाए। सिन्हा के अनुसार आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की कोशिश में कुछ गलत नहीं है, क्योंकि बाधित हुई सप्लाई चेन को रिस्टोर करने के लिए यह जरूरी था। हालांकि मांग में कमी के चलते रिकवरी प्रभावित हो सकती है।
- रिपोर्ट में दिए गए ये सुझाव
जानिए रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए गए
- रोजगार बढ़ाने वाले और कम अवधि वाले इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर खर्च बढ़ाया जाना चाहिए।
- आईसीआईसीआई, आईडीबीआई और आईएफसीआई के समान डेवलपमेंट फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन की स्थापना की जानी चाहिए।
- गरीब परिवारों को आर्थिक सहारा जारी रखना चाहिए।
- मनरेगा के लिए अधिक से अधिक बजट आवंटित करना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को ही रोजगार सुरक्षा नहीं उपलब्ध कराता, बल्कि कोरोना के चलते गांव वापस गए मजदूरों को भी रोजगार उपलब्ध कराएगा।
- रीयल एस्टेट को अधिक सहारा दिया जाना चाहिए। इसमें भी खासतौर से अफोर्डेबल हाउसिंग सेग्मेंट को अधिक सहारे की जरूरत है।
- माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज को फाइनेंस जुटाने में समस्या आ रही है। उन्हें अगले वित्त वर्ष 2021-22 में बेहतर प्रदर्शन के लिए सरकारी सहायता की जरूरत पड़ेगी।
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