अमिताभ ओझा, पटना : आज के दौर में बेरोजगारी सबसे बड़ा अभिशाप है, लेकिन यह भी अजीब बात है की आज ज्यादातर युवा सरकारी नौकरी को ही रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम मानते है। वो ये नहीं जानते की कई स्टार्ट अप ऐसे है जिनको अपना कर वो ना सिर्फ अपना रोजगार बना सकते हैं बल्कि कई लोगो को रोजगार भी दे सकते है। आज हम बात करने वाले है पटना के उन तीन दोस्तों के बारे में जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्ट अप अपनाया बल्कि कई लोगो को रोजगार दे रहे हैं। इनकी कहानी भी थ्री इडियट्स वाली जैसी है जो पढाई तो कुछ और करते है लेकिन बाद में काम वही करते है जो इनका दिल कहता है।
तीन दोस्त मनीष, अमित और दीपक, एक मल्टीनेशनल कंपनी में अधिकारी था, दूसरा एक कंपनी में इंजिनियर और तीसरा मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में बड़ा कांट्रेक्टर। तीनों ही पटना के केंद्रीय विद्यालय के छात्र रहे हैं। लगभग बीस वर्षो तक नौकरी करने के बाद अचानक तीनों को लगा की अब अपना कुछ किया जाए। वो भी अपने ही शहर में अपने लोगो के साथ। इसके लिए प्लानिंग किया। काफी मंथन के बाद तीनो दोस्तों ने मशरूम का कारोबार करने के लिए प्लानिंग किया। इसके लिए यूट्यूब का सहारा लिया। उनलोगों के बारे में पढ़ा। जिन लोगों ने मशरूम की खेती कर अपनी उपलब्धि हासिल किया। उसके बाद बिहार के पूसा और उतराखंड के सालन में मशरूम की ओरगेनिक खेती को लेकर ट्रेनिंग की। फिर पटना में अपना स्टार्ट अप शुरू किया। शुरुआत छोटे स्तर से किया लेकिन जल्द ही यह लोगो की पहली पसंद बन गई और फिर कारोबार का विस्तार किया। इन तीनों दोस्तों ने अपने प्रोडक्ट कंपनी का नाम रखा है "मशरूम मैन"। ये अपने छोटे से स्टार्ट अप से प्रतिदिन 100 किलो तक मशरूम का उत्पादन कर रहे है। हालांकि इससे ज्यादा भी कर सकते है लेकिन अभी डिमांड और खपत उतनी नहीं है।
मनीष, दीपक और अमित पाण्डेय ने पटना के अनीसाबाद में एक लीज पर जमीन लेकर उसपर गोदाम बनाया और मशरूम की फार्मिंग शुरू की। मनीष ने बताया की जब शुरुआत किया तो लॉकडाउन था। शुरू में तो लगा की गलत समय है लेकिन फिर लगा की उत्पादन शुरू किया जाए। खुद ही ब्रांडिंग करेंगे लोगों के पास जायेंगे और उन्हें मशरूम के फायदे बताएंगे। मनीष के अनुसार वैसे तो मशरूम के कई प्रकार होते है लेकिन पांच प्रकार के मशरूम लोग खाने में पसंद करते हैं। इनमें बटन मशरू , पैडी स्ट्रॉ, धिन्गरी, स्पेशली मशरूम और ओस्टर मशरूम है। इनमें बटन मशरूम ज्यादा प्रचलित है। जबकि ओस्टर सबसे ज्यादा फायदेमंद और स्वादिष्ट होता है। होटलों में सूप के लिए ओस्टर मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है। मनीष के अनुसार उनलोगों ने कोरोना काल में ओस्टर मशरूम का ही उत्पादन शुरू किया। ओस्टर मशरूम बिपि शुगर और इम्युनिटी बढाने के लिए फायदेमंद होता है। अमित पाण्डेय बताते है की उनकी प्लानिंग है की बिहार में ज्यादा से ज्यादा युवकों को इस धंधे से जोड़ा जाए और उन्हें रोजगार उपलब्ध ककाराया जाए।
पटना में छोटे से स्तर से शुरू किया गया इनका प्रयास आज बड़ा स्टार्ट अप बन चुका है। पटना के लगभग हर हिस्से में उनका मशरूम बिक रहा है। मशरूम के सबसे ख़ास बात है की यदि मशरूम सुख जाता है तो उसका पाउडर भी काफी ऊंची कीमत पर बिकती है। बहरहाल इन तिन दोस्तों की कहानी एक नजीर है उन लोगों के लिए जो लोग सिर्फ सरकारी नौकरी को ही रोजगार समझते है।
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