नई दिल्ली। इस बार के बजट ने रियल एस्टेट सेक्टर को निराश किया है। इस बार बजट में इस सेक्टर के लिए कोई बड़ा अनाउंसमेंट नहीं हुआ है। हालांकि नोटबंदी और कोरोना से बदहाल इस सेक्टर को पहले ही बूस्ट करने के लिए कुछ कवायदें की जा चुकी हैं। रियल एस्टेट एक्सपर्ट की मानें तो ये कवायदें ऊंट के मुंह में जीरा हैं। नोटबंदी के बाद से ही इस सेक्टर में ठहराव सा आ गया है।
हालांकि बजट में स्टील के दाम घटाकर और मकान खरीदने पर लोन में 1.5 लाख रुपए की छूट का फायदा एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। इससे इस सेक्टर को थोड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा प्रवासी मजदूरों को रेंटर हाउसिंग सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में छूट दी गई है। ये भी इसे सेक्टर के उठने में मददगार साबित होगा।
ये थी इस सेक्टर की मांग :
रियल एस्टेट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत डिडक्शन की सीमा को बढ़ाए जाने की भी मांग हो रही थी। चूंकि नवंबर 2020 में मोदी सरकार ने दो करोड़ तक की हाउसिंग यूनिट्स के सर्किल रेट में छूट को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 कर दिया है। इसके साथ ही कोरोना की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में भी डिजीटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उम्मीद थी कि इस बजट में इससे भी जुड़ा कोई प्रावधान हो।इसके अलावा ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) नहीं मिलने से रियल एस्टेट डवलपर्स की पूंजी अटक जाती है। संपत्तियों को व्यावसायिक किराए पर देने पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। निर्माण के दौरान आईटीसी नहीं मिलने से निर्माण की लागत भी अक्सर बढ़ जाती है। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर से ये भी मांग उठ रही थी कि सर्किल रेट से कम दाम पर बिक्री पर इनकम टैक्स के नियमों में छूट की राहत को 30 जून 2021 की निर्धारित समय सीमा से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर देना चाहिए।
रियल एस्टेट की घोषणाओं को समझिए प्वाइंटर में :
- मकान खरीदने पर लोन में 1.5 लाख रुपए की छूट का फायदा 31 मार्च 2022 तक जारी रहेगा।
- स्टील पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 7.5 फीसदी करने से घर बनाने में लागत में कमी आएगी।
- प्रवासी मजदूरों के लिए अफॉर्डेबल रेंटल हाउसिंग की सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में छूछ दी गई है।
- विदेशी निवेशकों द्वारा InVITs और REITs की फाइनेंसिंग को संबंधित कानून में संशोधन के जरिए अनुमति दिए जाने से InVITs और REITs के लिए फाइनेंस की सुगमता बढ़ जाएगी और इस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर्स के लिए फंड्स भी बढ़ेंगे।
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