हर चीज का एक तय समय होता है, जब वह खत्म हो जाती है। ये बात गाड़ियों पर भी लागू होती है। भारतीय कार बाजार में न जाने कितनी कारें आईं और गईं। लेकिन कुछ कारें ऐसी थीं जिनका उत्पादन तो बंद हो गया है, किंतु अलग-अलग कारणों के चलते वे हमेशा के लिए लोगों की यादों में बस गईं। इस खबर में हम ऐसी ही कुछ कारों की लिस्ट लेकर आए हैं। इस फेहरिस्त में वो कारें भी शुमार हैं जो समय से पहले ही खत्म हो गईं।
टाटा नैनो (Tata Nano)
टाटा ने अपनी इस लखटकिया कार का बहुत जबरदस्त प्रचार किया था। माना जा रहा था कि नैनो (Tata Nano) के मार्केट में आने से बहुत सारी मिडल क्लास फैमली का कार लेने का सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन टाटा की ये पेशकश ग्राहकों को अपनी खींच पाने में नाकाम रही। इसकी कई वजह मानी गईं। इनमें नैनो के सीमित फीचर्स के अलावा टाटा की गलत रणनीति भी शामिल थी। जानकारों के मुताबिक भारत जैसे देश में जहां कार लेना आज भी जरूरत से ज्यादा स्टेटस सिंबल समझा जाता है, वहां लोगों ने अपने ऊपर 'लखटकिया' या सबसे सस्ती कार की छाप लगवाना पसंद नहीं किया। और टाटा को खामियाजा उठाना पड़ा।
हालांकि नैनो का साईज बाकी कारों से काफी कम था, लेकिन उसके अंदर इतनी जगह दी गई थी कि 4 लोग आसानी से बैठ सकें। साथ ही छोटी होने की वजह से इस कार को पार्क करते समय खासी सहूलियत रहती थी। नैनो में 624cc क्षमता का 2 सिलेंडर इंजन था। 2014 में हुए GNCAP के क्रैश टेस्ट में नैनो को जीरो रेटिंग मिली थी। इन सभी कारों को देखते हुए टाटा ने अप्रैल 2020 में इस कार का उत्पादन पूरी तरह रोक दिया।
निसान सनी (Nissan Sunny)
जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी निसान (Nissan) ने इस कार की मार्केटिंग कुछ इस तरह की थी कि ये कार नहीं "काररररर" है। अपनी अलग अपील की वजह से सनी का ये विज्ञापन आज भी कईयों को याद होगा। निसान (Nissan) ने सनी (Sunny) को भारत में साल 2011 में लॉन्च किया था। जैसा कि सनी के एड में स्थापित करने की कोशिश की गई थी, ये सेडान अंदर से अच्छी-खासी रूमी थी। कार में 1498cc क्षमता का 4 सिलेंडर इंजन लगा था और इसकी कीमत 7 लाख (शुरूआत एक्सशोरूम) तय की गई थी।
लेकिन निसान की ये पेशकश ग्राहकों को लुभाने में नाकाम रही। इसकी एक बड़ी वजह ये भी थी कि बाजार में इसे टक्कर देने के लिए मारुति-सुजुकी स्विफ्ट और हुंडई एसेंट और वर्ना जैसी कारें मौजूद थीं। हालांकि 2014 में निसान ने इस कार के फीचर्स को अपडेट किया था। लेकिन कोई अपेक्षित नतीजा नहीं मिलने की वजह से आखिरकार इसे बंद कर दिया गया।
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मारुती जिप्सी (Maruti Gypsy)
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुती-सुजुकी (Maruti-Suzuki) ने जिप्सी को भारत में 1985 में लॉन्च किया था। और जल्द ही ये कार भारतीय ग्राहकों की फेवरेट बन गई। समय-समय पर जरूरी बदलाव होते रहने की वजह से जिप्सी भारतीय ग्राहकों की पसंद बनी रही। लेकिन करीब 34 साल तक भारतीय सड़कों पर राज करने के बाद मारुति ने 2019 में जिप्सी का उत्पादन रोक दिया। दरअसल इस कार में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम और एयर बैग्स जैसे बेसिक सेफ्टी फिर्चस नहीं थे।
जिप्सी की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि इस कार को किसी भी तरह के मुश्किल रास्ते में आसानी से चलाया जा सकता था। ये एक बड़ा कारण था कि जिप्सी को काफी वक्त तक भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा भी इस्तेमाल किया गया। गौरतलब है कि साल 1991 से 2019 के बीच मारुती सुजुकी ने जिप्सी के 35,000 यूनिट आर्मी को बेचे गए। इस बेहतरीन गाड़ी की शुरूआती एक्सशोरूम कीमत 6.4 लाख रुपए थी।
मारुती-सुजुकी ओमनी (Maruti Suzuki Omni)
किसी जमाने में मारुति-सुजुकी की ओमनी बाजार की सबसे पसंदीदा कारों में शुमार थी। खासतौर पर जब किसी संयुक्त परिवार को किसी जगह जाना होता था तो ओमनी वैन की ही याद आती थी। यदि चुटीले अंदाज में कहें तो मारुति की इस कार को किडनेपिंग कार के तौर पर भी पहचाना जाता था। इसके अलावा इस कार को स्कूल वैन के तौर पर भी पहचान मिली थी।
मारुति ने ओमनी को 1984 में लॉन्च किया था। इस तरह इस कार ने बाजार में करीब 35 साल का समय गुजारा था। 1998 में मारुति ने ओमनी के इंजन के साथ फीचर्स में भी बदलाव कर इसे लॉन्च किया था। इस कार की शुरूआती एक्सशोरूम कीमत 2.85 लाख थी।
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फॉक्सवैगन एमियो (Volkswagen Ameo)
फॉक्सवैगन एमियो उन चुनिंदा कारों में शुमार है जिन्होंने बाजार में सबसे कम वक्त गुजारा। इस कार को 2016 में लॉन्च किया गया था और इसकी कीमत 5.32 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के बीच थी। शुरूआत में एमियो को संतोषजनक प्रतिक्रिया भी मिली थी। लेकिन टक्कर में मारुती-सुजुकी डिजायर, हुंडई एक्सेंट और होण्डा अमेज जैसी शानदार कारों के होने की वजह से फॉक्सवैगन की ये पेशकश ग्राहकों को खींच पाने में नाकाम रही। इस कार को 2020 में बन्द कर दिया गया था।
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