नई दिल्लीः अब ओला और ऊबर वाले मनमानी ढंग से आपसे किराया नहीं वसूल सकेंगे, क्योंकि सरकार ने एक नई गाइडलाइन जारी कर दी है। सरकार ने ओला और ऊबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराए बढ़ाने की एक सीमा लगा दी है। अब ये कंपनियां मूल किराए के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी। दरअसल सरकार का यह कदम अहम इसलिए भी हो जाता है, क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराए पर लगाम लगाने की काफी समय से मांग कर रहे थे। बता दें कि ये पहली बार है जब भारत में ओला और ऊबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को रेग्यूलेट करने के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए है।
एग्रीगेटर्स को डेटा स्थानीयकरण सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारतीय सर्वर में न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम चार महीने उस तारीख से संग्रहीत किया जाए, जिस दिन डेटा जनरेट किया गया था। डेटा को भारत सरकार के कानून के अनुसार सुलभ बनाना होगा, लेकिन ग्राहकों के डेटा को यूजर्स की सहमति के बिना शेयर नहीं किया जाएगा।
कैब एग्रीगेटर्स को एक 24X7 कंट्रोल रूम स्थापित करना होगा और सभी ड्राइवरों को अनिवार्य रूप से हर समय कंट्रोल रूम से जुड़ा होना होगा। नियम के मुताबिक, एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति होगी।
वहीं, कैंसिलेशन फीस कुल किराए का दस प्रतिशत होगा, जो राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा। ड्राइवर को अब ड्राइव करने पर 80 प्रतिशत किराया मिलेगा, जबकि कंपनी को 20 प्रतिशत किराया ही मिल सकेगा। केंद्र सरकार ने एग्रीगेटर को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन्स जारी की है, जिसका राज्य सरकारों को भी पालन करना अनिवार्य होगा।
वहीं, मंत्रालय ने बयान में कहा है कि इससे पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था। अब इस नियम को ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। बता दें कि मोटर व्हीकल 1988 को मोटर वीइकल ऐक्ट, 2019 से संशोधित किया गया।
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