नई दिल्लीः कोरोना वायरस संक्रमण काल में लोगों की जान के साथ-साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को काफी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। आर्थिक नुकसान की भरपाई करने को कंपनियों ने बड़े-बड़े कदम उठाए, लेकिन स्थिति में अभी भी पूर्ण रूप से सुधार नहीं हैं।
कंपनियां साल 2021 में नुकसान को पूरा कर आर्थिक पहिये को पटरी पर लाने की पुरजरो कोशिश कर रही हैं। बजट 29 जनवरी से शुरू हो रहा है, जो दो चरणों में चलेगा। 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा। बजट से पहले हर इंडस्ट्री के लोगों को काफी उम्मीदें हैं कि सरकार उनके लिए क्या बड़ी घोषणा करती है। ऑटो इंडस्ट्री को भी आम बजट से काफी उम्मीदें हैं।
लॉकडाउन के दौरान केंद्र समेत राज्य सरकारों के इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस को बढ़ता देख एक्पर्ट्स इसमें सरकार की ओर से राहत मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। उनका मानना है कि व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने से जहां भारत ऑटोमोबाइल का बड़ा केंद्र बन जाएगा। वहीं अगर जीएसटी की दरें कम की जाती है तो इससे गाड़ियों के दाम कम होंगे। ऐसे में लोग कम कीमत पर इलेक्ट्रानिक गाड़ियां खरीद सकेंगे।
वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने समेत इंडस्ट्री को ग्रोथ पर ले जाने के लिए कंपनियां लिथियम आयन बैटरी के आयात पर सीमा शुल्क को घटाने की मांग कर ही हैं। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को जीएसटी से मुक्त करने की बात कह रही हैं। इससे वाहन सस्ते हो सकते हैं। चूंकि कोरोना के बाद से लोग पर्सनल व्हीकल को प्रेफर कर रहे हैं। ऐसे में कीमतों के कम होने से फस्र्ट टाइम बायर्स की संख्या बढ़ सकती है।
लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने व्हीकल स्क्रैप पाॅलिसी की बात कही थी। जिसमें पुरानी गाड़ी के बदले नई इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने पर डिस्काउंट दिए जाने की बात कही गई थी। सरकार ने ये योजना प्रदूषण को कम करने और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ाने के मकसद से तैयार की थी। ऐसे में इंडस्ट्री के लोग उम्मीद जता रहे है कि साल 2021-22 के बजट में इस पाॅलिसी को पास किया जाएगा।
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