नई दिल्ली: ऑटोमोबाइल कंपनियां आय दिन अपनी सेल बढ़ाने और ग्राहकों को लुभाने के लिए नए-नए वाहनों की लॉन्चिंग करती रहती हैं। कंपनियों के वाहनों को ग्राहकों का रिस्पॉन्स भी अच्छा मिलता है। ऐसी पेट्रोल गाड़ियों के मुकाबले लोग डीजल कार खरीदने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, इसलिए भारत इन गाड़ियों की मांग भी बढ़ती जा रही है। ऑटोमोबाइल्स कंपनियां भी ग्राहकों की मांग को देखते हुए पेट्रोल के साथ-साथ डीजल वेरिएंट को भी लॉन्च करती हैं, लेकिन पिछले करीब एक साल में डीजल कारों की बिक्री में गिरावट आई है।
दरअसल, भारत में बीएस-6 नॉर्म्स लागू होने के बाद तमाम ऑटो कंपनियां डीजल कारें कम बना रही हैं। भारत में डीजल कारों की डिमांड के पीछे कई वजहें हैं. डीजल कारें पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा माइलेज देती हैं। अक्सर लंबी दूरी तक रोजाना सफर करने वाले लोग पेट्रोल के मुकाबले डीजल की कारें खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि पेट्रोल से सफर महंगा साबित होता है। कभी भी आंख मूंदकर डीजल की कारें नहीं खरीदनी चाहिए।
1- सबस खास बात यह है कि जब आप डीजल कार खरीदते हैं तो ये पेट्रोल कार के मुकाबले ज्यादा महंगी होती है, जो खरीदते समय ही चुकानी पड़ती है। ऐसे में आप खुद हिसाब लगा सकते हैं कि बचत किसमें है।
2- डीजल कार खरीदने के कई नुकसान भी हैं। पेट्रोल के मुकाबले डीजल कारें ज्यादा NO2 का उर्त्सन करती हैं, जो वातावरण के साथ-साथ सेहत के लिए भी हानिकारक है। इसी वजह से दिल्ली जैसे शहरों में सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
3- इसके अलावा इंश्योरेंस की कीमत भी पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से अधिक होती है। अगर आपको बहुत ज्यादा लंबा सफर नहीं करता पड़ता है तो फिर पेट्रोल कार खरीदने में ही भलाई है। डीजल कार उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होती है, जिन्हें लगातार लंबी ड्राइविंग करनी होती है।
4- डीजल से चलने वाले वाहनों की सर्विस पेट्रोल कारों के मुकाबले अधिक रकम में होती है, यानी जैसे-जैसे डीजल कार पुरानी होती जाएगी। पेट्रोल कार के मुकाबले मेनटेंस में खर्च ज्यादा आएगा। इसके अलावा पेट्रोल इंजन के मुकाबले डीजल इंजन की लाइफ भी कम होती है।
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