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14 साल की उम्र से व्हीलचेयर पर हैं कार्तिक कंसल, 4 बार UPSC क्लियर किया, लेकिन नहीं मिली कोई सर्विस

UPSC News: कार्तिक कंसल ने चार बार सिविल सेवा परीक्षा पास की, लेकिन उन्हें कोई सर्विस अलॉट नहीं की गई। रिटायर्ड अधिकारी संजीव गुप्ता ने इस मामले को उठाते हुए ट्वीट किया है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 21, 2024 07:53
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चार बार सिविल सेवा पास करने के बाद भी कार्तिक को कोई सर्विस अलॉट नहीं की गई।

Kartik Kansal News: ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेड़कर द्वारा दिव्यांग कोटा के कथित तौर पर दुरुपयोग के मामले पर बवाल मचा हुआ है। इस बीच मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित एक कैंडिडेट का मामला सामने आया है, जिसने 4 चार बार यूपीएससी क्लियर किया, लेकिन उसे कोई सर्विस नहीं मिली। कार्तिक कंसल ने आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। और वर्तमान में इसरो में साइंटिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं। इसरो में उनका चयन ऑल इंडिया सेंट्रल रिक्रूटमेंट के जरिए हुआ था। कार्तिक 14 साल की उम्र से व्हीलचेयर का प्रयोग कर रहे हैं। और वे चार बार, 2019 ( रैंक 813), 2021 (रैंक 271), 2022 (रैंक 784) और 2023 ( रैंक 829) में सिविल सेवा परीक्षा पास कर चुके हैं।

2021 में कार्तिक ने सामान्य कैंडिडेट के तौर पर सिविल सेवा परीक्षा पास की थी, माना जा रहा था कि उन्हें आईएएस मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 272 और 273 रैंक पर रहने वाले लोगों को उसी साल आईएएस मिला। हालांकि 2021 में यूपीएससी ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को आईएएस के लिए पात्र उम्मीदवारों की सेवा शर्तों में शामिल नहीं किया था।

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‘IAS के लिए सेरेब्रल पाल्सी को मंजूरी, फिर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्यों नहीं’

आयोग ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को भारतीय राजस्व सेवा (इनकम टैक्स) ग्रुप ए और भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम एंड एक्साइज) के लिए पात्र उम्मीदवारों की सेवा शर्तों में शामिल किया था। कार्तिक कंसल ने अपनी वरीयता सूची में इन दोनों सेवाओं का चयन किया था, लेकिन उन्हें सेवा नहीं मिली।

2019 में कार्तिक कंसल को 813 रैंक मिली। उन्हें आसानी से सर्विस अलॉट की जा सकती थी, क्योंकि लोकोमोटर डिसएबिलिटी (चलने-फिरने में अक्षमता) में 15 वैकेंसी थीं और केवल 14 पदों पर नियुक्ति हो पाई थी। 2021 में लोकोमोटर डिसएबिलिटी कैटेगिरी में सात पद खाली थे, लेकिन चार पद भरे गए। कार्तिक कंसल इस कैटेगिरी में पहली पोजिशन पर थे, लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा मिली।

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कार्तिक कंसल के मामले में एम्स ने क्या कहा

एम्स के मेडिकल बोर्ड ने यह प्रमाणित किया था कि कार्तिक कंसल को मस्कुलर वीकनेस है और उनके दोनों हाथ और पैर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शिकार हैं। दिलचस्प है कि आईएएस के लिए दोनों हाथ और पैरों से प्रभावित व्यक्ति को योग्य माना जाता है, लेकिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित व्यक्ति को योग्य नहीं माना जाता। एम्स के बोर्ड ने पाया था कि कार्तिक कंसल थोड़ी मुश्किलों के साथ अपनी उंगलियों से मैनिपुलेशन कर सकते हैं। वहीं मोटराइज्ड व्हीकल के साथ आवागमन कर सकते हैं।

बोर्ड ने यह भी कहा था कि कार्तिक कंसल देख सकते हैं, बोल सकते हैं, संवाद कर सकते हैं, लिख-पढ़ सकते हैं। हालांकि बोर्ड ने कहा था कि वह खड़ा नहीं हो सकता, चल नहीं सकता, खींच नहीं सकता, धक्का नहीं दे सकता, उठा नहीं सकता, झुक नहीं सकता, घुटने नहीं टेक सकता, कूद नहीं सकता या चढ़ नहीं सकता। कार्तिक के दिव्यांगता प्रमाणपत्र में कहा गया था कि वह 60 प्रतिशत दिव्यांग हैं, लेकिन एम्स बोर्ड ने पाया कि वह 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं।

रिटायर्ड अधिकारी संजीव गुप्ता ने कार्तिक के मामले को उठाते हुए उनके सपोर्ट में ट्वीट किया। गुप्ता ने कहा कि कार्तिक ने शौचालय जाने के लिए किसी की मदद लिए बिना सिविल सेवा परीक्षा दी थी, आईएएस और आईआरएस के लिए वह सभी सेवा शर्तों को पूरा करते हैं, फिर भी उन्हें सेवा नहीं दी गई। कार्तिक ने जब शिकायत निवारण के लिए केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से खुद के रिजेक्शन का कारण जानना चाहा तो उन्हें जवाब मिला, ‘आपकी रैंक के अनुसार आपकी बारी में कोई मेल खाती सेवा नहीं थी।’

कार्तिक का केस अभी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में पेंडिंग है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा ज्वॉइन करके मैं यह साबित करना चाहता था कि मेरे जैसे लोग भी यह काम कर सकते हैं, लेकिन इस मामले पर ज्यादा कुछ कह नहीं सकता क्योंकि यह अभी न्यायालय में विचाराधीन है।

First published on: Jul 21, 2024 07:53 AM

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