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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का सरकार का रोड मैप ?

कुमार गौरव, नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अपने दो बड़े प्रण पूरा कर चुकी मोदी सरकार जल्द ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की अपनी तीसरी प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर सकती है। 22वें विधि आयोग के […]

Edited By : Kumar Gaurav | Updated: Nov 28, 2022 19:33
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यूनिफॉर्म सिविल कोड

कुमार गौरव, नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अपने दो बड़े प्रण पूरा कर चुकी मोदी सरकार जल्द ही देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की अपनी तीसरी प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर सकती है।

22वें विधि आयोग के गठन के साथ यह संकल्प पूरा करने की दिशा में अब 100 दिन का ही विंडो बचा है । वर्तमान विधि आयोग के सामने अन्य मामलों के अलावा यूसीसी के विधेयक का मसौदा तैयार करने की अहम जिम्मेदारी भी दी गई थी। वक्त सिर्फ सौ दिनों का बचा है ।

इस आयोग का गठन फरवरी 2020 में हुआ था और तीन साल के कार्यकाल के हिसाब से जस्टिस ऋतुराज अवस्थी के सामने फिलहाल फरवरी 2023 तक का कार्यकाल सामने है। हालाकि लम्बे वक्त तक आयोग के अध्यक्ष का पद खाली पड़ा था। यूसीसी का मकसद सब धर्मों के लोगों को समान अधिकार सुनिश्चित करना है। 21 वे विधि आयोग के कार्यकाल के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में एक व्यापक कन्सलटेशन पेपर तैयार हुआ था। उस पर देशभर से लोगों की प्रतिक्रिया, सुझाव, आपत्तियां और सिफारिशें प्राप्त हुईं। उन के आधार पर आयोग ने कुछ सवाल तैयार किए थे जिन पर लोगों की राय मांगी गई थीं। उस समय सुप्रीम कोर्ट में निजी कानूनों से जुड़े कई मामले सुप्रीम कोर्ट लंबित थे। इनमें कुछ केस हलाला, ट्रिपल तलाक और पारसी निजी कानून से भी जुड़े थे।


इसमें से कई मामलों पर फैसला आने के बाद अब बहुत सारे मामले वैसे ही सुलझ चुके है। सरकार के सूत्र बताते हैं कि यूसीसी का मकसद विभिन्न धर्मों के लोगों को समान अधिकार सुनिश्चित करना है। इंसाफ सबको बराबरी का मिले, यही तो सबका मकसद है और यूसीसी का उद्देश्य भी यही है। 22 वें विधि आयोग की नियुक्ति फरवरी, 2023 तक के लिए हुई है। यह अवधि पूरी होने पर सरकार 23 वें विधि आयोग की अधिसूचना जारी कर सकती है। मौजूदा चेयरपर्सन और बाकी सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाकर उन्हें ही 23 वें आयोग की जिम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं।

यूसीसी लाने के दौरान ,कई कानूनों में बदलाव भी करना पड़ सकता है ,जैसे .क्रिश्चियन डाइवोर्स एक्ट 1869,डिजोल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939,हिंदू मैरिज एक्ट 1955,हिंदू एडोप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट 1956,पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट,मुस्लिम पर्सनल लॉ.शरियत.एप्लीकेशन एक्ट,स्पेशल मैरिज एक्ट,फॉरेन मैरिज एक्ट

मोदी सरकार ने 2016 में समान नागरिक कानून की दिशा में ठोस पहल शुरु की थी। इसके बाद से तीन बड़े पहलुओं को इस कोड के अनुरूप बनाया जा चुका है। तीन तलाक को गैर कानूनी बनाया गया, विवाह की न्यूनतम उम्र को सभी धर्मों के लिए एक समान रखने का विधेयक तैयार किया गया।  जो इस समय संसद की स्थायी समिति के पास विचाराधीन है। विवाह के पंजीकरण के बारे में आंशिक कदम उठाया जा चुका है। इसके तहत सभी धर्मों के अनिवासी भारतीयों के विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किया जा चुका है। बाकी सभी मामले में नए मसौदे में निर्णय लेना होगा ।

आपको बता दें,कानून मंत्रालय ने 17 जून 2016  को विधि आयोग के पास यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला भेजा था, 21 वें विधि आयोग ने नवम्बर 2016 में इस पर एक प्रश्नावली सार्वजनिक बहस के लिए जारी की।
प्रश्नावली पर राय देने का समय जून 2018 तक का था इसे इसे एक महीने के लिए बढ़ाया गया। इसपर आयोग को जनता से 75,378 सुझाव, राय, आपत्तियां, सिफारिशें प्राप्त हुईं। इसके बाद आयोग ने 185 पन्नों का  कन्सलटेशन पेपर जारी कर समान नागरिक संहिता के मकसद स्पष्ट किए थे।इसमें विवाह, तलाक, बच्चे की कस्टडी और गार्जियनशिप, बच्चा गोद लेने और रखरखाव संबंधी मुद्दों तथा उत्तराधिकार और वसीयत से जुड़े मामलों पर राय सामने आई। 

आपको बता दें, इस बीच कई बीजेपी शासित राज्यो में चुनाव के दौरान यूसीसी बिल लाने का वायदा किया गया है। आने वाले समय में बड़े स्तर पर कई राज्यों में इससे जुड़े फैसला होगा, देश भर से इसकी मांग भी उठ सकती है । उसके बाद केंद्र सरकार,राज्यो की मांग के आधार पर केंद्र स्तर पर यानि की देश भर के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक के तौर पर संसद में ला सकती है।

First published on: Nov 28, 2022 07:33 PM

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