Paris Olympic में मेडल से क्यों चूकीं मीराबाई चानू? खुद रिवील की वजह, अगली बार जरूर जीतूंगी
Meerabai Chanu Reaction Paris olympic 2024: देश की स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई चानू से लोगों को काफी उम्मीदें थीं। बीते दिन विनेश फोगाट के डिस्क्वालीफिकेशन के बाद सभी को मीराबाई चानू से गोल्ड मेडल जीतने की आस थी। मगर मीराबाई चानू चौथे नंबर पर रहीं और पेरिस ओलंपिक में कोई भी मेडल नहीं जीत सकीं। ओलंपिक में हार के बाद मीराबाई चानू का पहला रिएक्शन सामने आया है। उनका कहना है कि वेटलिफ्टिंग के दौरान वो पीरियड्स के दर्द से जूझ रही थीं। उनका तीसरा दिन था, जिसका असर उनके खेल पर भी पड़ा और वो मेडल जीतने से चूक गईं।
मीराबाई चानू ने बताई हारने की वजह
मीराबाई चानू ने कहा कि सबको पता है खिलाड़ियों के साथ कुछ ना कुछ होता रहता है। मैंने भी कई सारी चोटें सही हैं। रियो में भी मेरा पहला ओलंपिक था, उसमें भी मेडल मेरे हाथ से फिसल गया था। ऐसे ही हर प्लेयर की किस्मत कभी अच्छी होती है और कभी बुरी होती है। मेरे साथ भी यही हुआ। रियो में मैं मेडल जीतने से फेल हो गई थी। उसके बाद मैं वर्ल्ड चैंपियन बनी। उसके बाद टोक्यो ओलंपिक में मैंने सिल्वर मेडल जीता। मैंने इस बार भी पूरी कोशिश की थी। मैंने बेस्ट परफॉर्मेंस दी। मैं देश के लिए एक मेडल जीतना चाहती थी। मगर एशियन गेम्स में ही मुझे बड़ी चोट लगी थी। 4-5 महीने मुझे ठीक होने में लग गए थे। मेरे पास ओलंपिक के लिए बहुत कम समय था।
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मीराबाई चानू ने मांगी माफी
मीराबाई चानू ने माफी मांगते हुए कहा कि मैंने पूरी कोशिश की लेकिन मेरी किस्मत खराब थी। फीमेल का प्रॉब्लम भी था। मेरा तीसरा दिन था। उसकी वजह से भी बॉडी पर थोड़ा सा फर्क पड़ता है। मेरी तरफ से एक मेडल जीतने की पूरी कोशिश थी। जीत और हार तो किस्मत का हिस्सा है। अगली बार मैं देश के लिए मेडल जीतने की पूरी कोशिश करूंगी। इस बार मैं मेडल नहीं दे पाई इसलिए माफी मांगना चाहती हूं। आने वाले सभी कम्पटीशन में मैं इससे भी ज्यादा कोशिश करूंगी और बेस्ट परफॉर्मेंस दूंगी।
कहां चूकीं मीराबाई चानू?
बता दें कि पेरिस ओलंपिक बीते दिन मीराबाई चानू ने क्लीन एंड जर्क में 111 किलोग्राम का वजन नहीं उठा सकी थीं। हालांकि दूसरे प्रयास में उन्होंने इसे उठा लिया था। वहीं तीसरी कोशिश में उन्होंने 114 किलोग्राम का वजन उठाया था। हालांकि मीराबाई चानू का कुल वजन कम था। इसलिए उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ। पहले नंबर पर चीन की होउ झिहुई और दूसरे नंबर पर रोमानिया की वालेंटिना कैम्बेई रहीं। तीसरे मेडल पर थाईलैंड की सुरोदचना खाम्बे ने कब्जा कर लिया था।
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