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BS-IV वाहन घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई, 22 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को BS-IV वाहन घोटाले से जुड़े मामले में बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने मैसर्स दिवाकर रोड लाइन्स, अन्य से जुड़ी फर्मों और जे सी प्रभाकर रेड्डी और गोपाल रेड्डी के परिवार के सदस्यों के नाम पर 22 करोड़ रुपये मूल्य की विभिन्न संपत्तियों (चल/अचल) को अस्थायी रूप से […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Nov 30, 2022 23:22
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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को BS-IV वाहन घोटाले से जुड़े मामले में बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने मैसर्स दिवाकर रोड लाइन्स, अन्य से जुड़ी फर्मों और जे सी प्रभाकर रेड्डी और गोपाल रेड्डी के परिवार के सदस्यों के नाम पर 22 करोड़ रुपये मूल्य की विभिन्न संपत्तियों (चल/अचल) को अस्थायी रूप से कुर्क किया। BS-IV वाहन घोटाले से जुड़े मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तारियां की गईं।

ईडी ने एक ट्वीट में इस प्रकरण की जानकारी देते हुए कहा, “ईडी ने मैसर्स दिवाकर रोड लाइन्स और अन्य से जुड़ी फर्मों और जे सी प्रभाकर रेड्डी के परिवार के सदस्यों के नाम पर 22.10 करोड़ रुपये की विभिन्न चल/अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।

क्या है ये घोटाला

ये घोटाला 2020 में सामने आया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तडिपत्री नगर पालिका के अध्यक्ष और तेलुगु देशम पार्टी के पूर्व विधायक जे.सी. प्रभाकर रेड्डी और उनके करीबी सहयोगी सी. गोपाल रेड्डी की संपत्तियों को कुर्क करने की कार्रवाई की है। जटाधारा इंडस्ट्रीज के माध्यम से प्रभाकर रेड्डी और गोपाल रेड्डी ने अशोक लेलैंड से 154 बीएस-III वाहन खरीदे थे और उन्हें नागालैंड की राजधानी कोहिमा में अवैध रूप से पंजीकृत कराया था। वाहनों को बाद में आंध्र प्रदेश में ट्रांसफर कर दिया गया और यहां बीएस-IV वाहनों के रूप में बेचा गया। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल, 2017 से BS-III वाहनों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी थी।

निर्माता की भूमिका की जांच

ईडी इस मामले में चेन्नई स्थित वाहन निर्माता अशोक लेलैंड की भूमिका की भी जांच कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अशोक लेलैंड ने अपना बचा हुआ स्टॉक कबाड़ के रूप में बेच दिया, लेकिन खरीदारों ने कथित तौर पर वाहन के दस्तावेजों का उपयोग कर उन्हें कोहिमा में पंजीकृत कराने के लिए विभिन्न डीलरों से खरीद लिया। आंध्र प्रदेश में सड़क परिवहन प्राधिकरण ने फरवरी 2020 में इस धोखाधड़ी का पता लगाया और राज्य, कर्नाटक के विभिन्न जिलों में मामले दर्ज किए। कुछ खरीदारों ने इस संबंध में अदालती आदेश जारी होने के बाद वित्तीय समस्याओं से बचने के लिए कबाड़ और बिक्री के लिए जब्त किए गए पांच वाहनों को छोड़ दिया था।

First published on: Nov 30, 2022 11:21 PM

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