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धर्मांतरण के बाद मुस्लिम और ईसाई बनने वाले दलितों को फिलहाल SC का दर्जा नहीं, केंद्र ने किया आयोग का गठन

प्रभाकर कुमार मिश्रा, दिल्ली: इस्लाम और क्रिश्चियनिटी स्वीकार करने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का फैसला कम से कम दो साल के लिए टल गया है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्यन्यायाधीश जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया है। […]

Edited By : Prabhakar Kr Mishra | Updated: Oct 8, 2022 14:07
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प्रभाकर कुमार मिश्रा, दिल्ली: इस्लाम और क्रिश्चियनिटी स्वीकार करने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का फैसला कम से कम दो साल के लिए टल गया है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्यन्यायाधीश जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया है। रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट रविंद्र जैन और यूजीसी की सदस्य सुषमा यादव आयोग के दो अन्य सदस्य होंगे। आयोग 2 साल में अपनी रिपोर्ट में बताएगा कि इस्लाम और क्रिश्चियनिटी अपनाने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता है या नहीं और अगर दिया जाता है तो मौजूदा दलितों पर क्या असर होगा?

मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म मानने वाले दलितों को ही अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस्लाम और क्रिश्चियनिटी अपनाने वाले दलितों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देने की माँग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में अपना रुख साफ करने को कहा था। 11 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने इस आयोग का गठन कर दिया है।

इस्लाम और क्रिश्चियनिटी स्वीकार करने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग वाली सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका 2004 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था लेकिन 18 साल तक सरकार ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था। जस्टिस ललित के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद 30 अगस्त को यह मामला एक बार फिर सुनवाई के लिए लिस्ट हुआ तब जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ ने सरकार से 3 हफ्ते में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट में 11 तारीख को जब सुनवाई होगी, केंद्र सरकार कोर्ट को बताएगी कि आयोग का गठन कर दिया गया है। आयोग को 2 साल का समय दिया गया है। और केंद्र सरकार के इस जवाब से संतुष्ट होने के बाद सुनवाई अगले दो साल के लिए टल जाएगी।

First published on: Oct 08, 2022 12:19 PM

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