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Azadi Ka Amrit Mahotsav: इन 5 नीतियों ने भारत को आर्थिक रूप से किया मजबूत, 1991 से बदली देश की तस्वीर

नई दिल्ली: भारत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। 1947 में जब हमारा देश आज़ाद हुआ था तब भारत एक गरीब देश था। उस समय देश की 340 मिलियन जनसंख्या थी और भुखमरी के हालात थे। ऐसी विकट परिस्थितियों के बावजूद 75 वर्ष के बाद आज देश दुनिया भर में मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ […]

Edited By : Siddharth Sharma | Updated: Aug 8, 2022 16:41
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भारत का आर्थिक विकास
भारत के आर्थिक विकास के मुख्य कारण

नई दिल्ली: भारत आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हैं। 1947 में जब हमारा देश आज़ाद हुआ था तब भारत एक गरीब देश था। उस समय देश की 340 मिलियन जनसंख्या थी और भुखमरी के हालात थे। ऐसी विकट परिस्थितियों के बावजूद 75 वर्ष के बाद आज देश दुनिया भर में मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ खड़ा है। देश की जीडीपी 2.651 ट्रिलियन डॉलर्स से भी ज्यादा हैं और भारत आज दुनिया भर में सबसे ज्यादा तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में से एक हैं।

75 साल में देश की आर्थिक स्थिति अच्छी करने और देश में बड़ी- बड़ी फैक्ट्रियां खोलने और लाखों लोगों को रोजगार देने के पीछे कई ऐसे महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय और सरकार की पॉलिसी शामिल है, जिनकी बदौलत देश आज इस पायदान पर पहुंच पाया है। इनमें पांच साल के विकास के प्लान, एसआईसी का बनना, 1956 की इंटस्ट्रियल पॉलिसी और सबसे ज्यादा योगदान देने वाली 1991 की नई पॉलिसी जिसने देश के मार्केट को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिया और पूरा विश्व एक व्यापार नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया शामिल है। तो आईये बात करते हैं कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों और पॉलिसी की जिन्होंने हमारी अर्थवस्वस्था को एक नया रुप दिया।

 

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1. पंचवर्षीय योजनाएं (Five year plan scheme)

आज़ादी के बाद देश को आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर करने के उद्देश्य से वर्ष 1951 से पंचवर्षीय योजना शुरु कर दी गई थी। इसके तहत प्लानिंग कमीशन का भी गठन किया गया था। पंचवर्षीय योजना के निर्णय ने देश के विकास में एक अहम भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा अगले पांच साल के लिए एक प्लान तैयार किया जाता था और अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ेगी ये तय किया जाता था। पहले पांच साल के प्लान में खेती पर जोर दिया गया था वहीं बाद में धीरे-धीरे इसमें फेक्ट्रियों के विकास और रोजगार समेत देश को साक्षर करने पर जोर दिया गया। साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने प्लानिंग कमीशन का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया था।

2. इंडस्ट्रीयल पॉलिसी – 1956 (India’s Industrial Policy 1956)

अप्रेल 1956 में भारत के संसद ने इंडस्ट्रीयल पॉलिसी रिसॉल्यूशन को मंजूरी दी। इसके तहत देश में फैक्ट्रियों के विकास पर जोर दिया गया। इस पॉलिसी के मुताबिक फेक्ट्रियों को बनाने में सरकार अहम भूमिका निभाएगी। इसके तहत सभी फेक्ट्रियों को तीन भागों में बांट दिया गया। जिसमें पहले भाग में वो मौजूद थी जो सिर्फ सरकार के ही हाथ में थी। वहीं दूसरे भाग की इंटस्ट्री सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों के लिए थी। वहीं तीसरे भाग की इंडस्ट्रीस प्राइवेट सेक्टर के लिए छोड़ दी गई थी।

3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण – 1969 (Nationalization of Banks 1969)

19 जुलाई 1969 को भारत सरकार ने देश की 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। देश के आर्थिक विकास की यात्रा में ये कदम बेहद महत्वपूर्ण माना जाता हैं। बैंको के राष्ट्रीयकरण के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य था कि बैंकिंग सेवाएं देश के हर कोने कोने तक पहुंच जाएं और ग्रामीणों को लोन लेने के लिए साहुकारों पर निर्भर ना होना पड़े। इस फैसले के बाद देश भर के ग्रामों में सोसाइटियां और को-ऑपरेटिव बैंक बनाई गई जिन्होंने ग्रामीणों को जागरुक किया और उन्हें बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा।

वर्ष 1969 में जिन 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल थी।

4. 1991 की नई आर्थिक नीति और देश की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार (New Economic Policy 1991)

देश की अर्थव्यवस्था की तरक्की और उसकी यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था 1991 की नई आर्थिक नीति। इस नीति ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरे विश्व के लिए खोल दिया और कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसने तीन मुख्य चीज़ो पर ध्यान दिया। पहला था निजीकरण जिसके तहत सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा मौका दिया और कई खराब काम कर रही पब्लिक कंपनियों को बेंच दिया या फिर अपनी हिस्सेदारी कम कर दी।

निजीकरण अभी भी सराकर द्वारा जारी है। इस नीति का दूसरा मुख्य भाग था उदारीकरण जिसके तहत प्राइवेट कंपनियों को कई छूट दे दी गई और कई टेक्स और परमिशन कम कर दी गई। वहीं इस नीति का तीसरा भाग था ग्लोबलाइजेशन जिसका अर्थ था एक विश्व एक व्यापार। इस नीति के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में आने की छूट दे दी गई। जिसके तहत कई कंपनियां हर सेक्टर में आई और उन्होंने भारत में निवेश भी किया और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी नीति के कारण आज भारत विश्व भर की कई कंपनियों के लिए निवेश की पहली पसंद हैं।

5. जीएसटी का लागू होना और नोटबंदी (GST and Demonetization)

देश भर में नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू कर दी गई जिसके बाद 500 और हजार के पुराने नोट बंद कर दिए गए। इसका मुख्य उद्देश्य था भ्रष्टाचार को खत्म करना। वहीं 1 जुलाई 2017 को देश भर में एक नया टेक्स सिस्टम लागू कर दिया गया। इस सिस्टम के तहत एक देश एक कर को बढ़ावा दिया गया और देश भर हले से चले आ रहे लगभग 2 दर्जन अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) खत्म हो गए और उन सबकी जगह पर सिर्फ एक टैक्स सिस्टम बचा। इस नए टैक्स सिस्टम को लागू करने के लिए सरकार को भारतीय संविधान में संशोधन भी करना पड़ा, जिसे 101वां संशोधन कहा जाता है। इसके लागू होने के बाद देश का टेक्स सिस्टम आसान हो गया।

देश की आज़ादी के 75 सालों में इनके अलावा भी कई ऐसी नीतियां रही है जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था की यात्रा में एक महत्वपूर्ण भाग निभाया। इनके बदौलत ही आज भारत इस मुकाम पर पहुंचा है और देश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है।

 

 

 

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First published on: Aug 06, 2022 05:26 PM
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