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‘पूरी तरह से पारदर्शी व्यवस्था’, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बांड योजना का बचाव किया

Electoral Bonds Scheme: केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राजनीतिक दलों को फंडिंग की चुनावी बांड योजना का बचाव किया और इसे पूरी तरह से पारदर्शी प्रणाली बताया। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए गए नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बांड पेश किए […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Oct 14, 2022 16:48
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Electoral Bonds Scheme: केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राजनीतिक दलों को फंडिंग की चुनावी बांड योजना का बचाव किया और इसे पूरी तरह से पारदर्शी प्रणाली बताया। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए गए नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बांड पेश किए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि चुनावी बांड योजना में गुमनाम राशि भी शामिल है, जिस पर केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि चुनाव बांड प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी है।

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मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के संकेत

पीठ ने यह भी संकेत दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुझाव दिया कि अगर अदालत उचित समझे तो मामले की प्रारंभिक सुनवाई की जा सकती है और उसके बाद मामले को भेजा जा सकता है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को मामले के महत्वपूर्ण मुद्दों और मामले की जल्द सुनवाई की आवश्यकता से अवगत कराया।

प्रशांत भूषण बोले- चुनावी बॉन्ड सिर्फ योजना तक सीमित नहीं

प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बांड योजना तक सीमित नहीं हैं। यह मामला इस बात पर भी जोर देता है कि राजनीतिक दलों को आरटीआई अधिनियम के तहत आना है या नहीं, और क्या विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) में पूर्वव्यापी संशोधन किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि एफसीआरए में पूर्वव्यापी संशोधन किया गया है जिसमें कहा गया है कि विदेशी कंपनियों की सहायक कंपनियों को विदेशी स्रोत के रूप में नहीं माना जाएगा, जिससे राजनीतिक दलों, लोक सेवकों को राजनीतिक चंदा मिल सके।

भूषण ने अदालत से मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा कि चुनाव आयोग गुजरात और हिमाचल के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर रहा है और चुनाव जल्द ही होने हैं।

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सीनियर वकील कपील सिब्बल ने की ये मांग

सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने की मांग करते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान की विशेषता है। कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण की दलीलों पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई और कहा कि वर्तमान मामला चुनावी मुद्दा नहीं है। इसके बाद यह देखते हुए कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 6 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

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First published on: Oct 14, 2022 03:12 PM
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