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Gaslight Review: रहस्य और रोमांच से भरपूर ‘गैसलाइट’ की चमक गायब, प्रेडिक्टेबल है सारा की फिल्म की कहानी

अश्वनी कुमार: गैसलाइट का मतलब क्या होता है? मतलब ये हम इसलिए नहीं पूछ रहे हैं कि आपको पता नहीं है, बल्कि इसलिए कह रहे हैं कि आपको कन्फ्यूज करने का साइकोलॉजिकल तरीका है। डिज़्नी हॉटस्टार की इस फिल्म में डायरेक्टर ने अपनाया है, जहां आप फुल कन्फ्यूज हो जाएंगे कि आपका दिमाग और आपकी […]

Edited By : Nancy Tomar | Updated: Mar 31, 2023 19:22
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Gaslight Review

अश्वनी कुमार: गैसलाइट का मतलब क्या होता है? मतलब ये हम इसलिए नहीं पूछ रहे हैं कि आपको पता नहीं है, बल्कि इसलिए कह रहे हैं कि आपको कन्फ्यूज करने का साइकोलॉजिकल तरीका है।

डिज़्नी हॉटस्टार की इस फिल्म में डायरेक्टर ने अपनाया है, जहां आप फुल कन्फ्यूज हो जाएंगे कि आपका दिमाग और आपकी आंखें खराब हैं या ये फिल्म और इसकी कहानी।

फिल्म की कहानी

सारा अली खान, विक्रांत मैसी, चित्रांगदा सिंह, अक्षय ओबेरॉय और राहुल देव जैसे सितारों से सजी गैसलाइट में चमक शुरु से ही गायब है। कहानी एक राजकुमारी मिशा की है, जो गुजरात के मोरबी के पास एक रियासत की राजकुमारी है और 15 साल बाद अपने महल वापस लौटी है, अपने दत्ता की चिट्ठी पाकर।

मिशा को अहसास होता है कि दत्ता गायब है

दत्ता यानि मिशा के पापा और रियासत के राजा, मगर महल में पहुंचने के बाद मिशा की मुलाकात अपने दत्ता की जगह, छोटी रानी यानि दत्ता की दूसरी बीवी रुक्मिणी देवी से होती है। जल्द ही मिशा को अहसास होने लगता है कि दत्ता गायब है।

भूतिया हरकतों का सिलसिला शुरू

फिर शुरु होता है भूतिया हरकतों का सिलसिला, जहां दत्ता गलियारे में दिया लेकर टहल रहे हैं, पियानो खुद बज रहा हैं, प्रोजेक्टर पर फिल्में खुद चल रही हैं। यानि फुल रामसे फिल्मों का सेटअप है। मगर सिनेमैटोग्राफी ऐसी की गई है, कि आप अपने फोन या टीवी दोनो की ब्राइटनेस कितनी भी बढ़ा लीजिए, दिखेगा आपको फिर भी कुछ नहीं।

महल में सिर्फ 5 लोग

खैर इस आलीशान, बड़े किले जैसे महल में आपको सिर्फ 5 लोग दिखते हैं। पहली मिशा, दूसरी छोटी रानी रुक्मिणी, तीसरा ड्राइवर, चौथा स्टेट मैनेजर कपिल और पांचवी एक कुक। यानि इन स्टार्स पर खर्च हुआ बजट, बाकी कैरेक्टर को गायब करके बैलेंस कर लिया गया।

बेवफाई, खून और बदला…

खैर कपिल के साथ मिशा अपने दत्ता का पता लगाने की तकरीब लगाती है और फिर कहानी में आता है, वो ट्विस्ट, जो अब से पहले अधिकतर फिल्मों में आ चुका है। यानि बेवफाई, ख़ून और बदला… और एक फाइनल ट्विस्ट, जिसे इतनी जल्दी निपटाया गया है कि फिल्म की लंबाई और बजट दोनों कम हो सके।

अंधेरे का अच्छा फील देती है फिल्म

गैसलाइट में दो अच्छी चीजें भी हैं, पहली फिल्म की एडीटिंग, यानि बिलो एवरेज कहानी को भी ठीक से एडिट करके बनाया गया है और दूसरा इसका बैकग्राउंड स्कोर, जो आपको अंधेरे का अच्छा फील देता है। बाकी राइटिंग और डायरेक्शन दोनों डिपॉर्टमेंट की ज़िम्मेदारी पवन कृपलानी के पास थी और उसे खराब करने में उन्होंने कोई कसर छोड़ी नहीं है।

सारा ने अपना सारा ध्यान व्हील चेयर पर लगाया

एक्टिंग की बात करें, तो सारा ने सारा ध्यान अपने व्हील चेयर पर दिया है, जो चलने पर आवाज बहुत करती है। कैरेक्टर तो छोड़ ही दीजिए। विक्रांत मैसी से उम्मीदें तो बहुत सी हैं, लेकिन उन्होंने उम्मीदों को तोड़ने का इन दिनों कॉन्ट्रैक्ट कर रखा है।

फिल्म के लिए 1.5 स्टार

बाकी चित्रांगदा सिंह तो लगता है कि अपने शाही लिबास और अंदाज से इतना प्यार कर बैठी हैं, कि उनका हर किरदार एक जैसा लगने लगा है। राहुल देव के पास करने के लिए कुछ है नहीं। हां, अक्षय ओबेरॉय ने एक बिगड़ैल और डूबते राजा के हिसाब से अपना काम ठीक-ठीक किया है। गैसलाइट होने से बचिए और फिल्म के लिए 1.5 स्टार।

First published on: Mar 31, 2023 07:22 PM

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