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Home / West Bengal Election
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पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई 2021 को पूरा हो रहा है। यहां 294 विधानसभा सीटें हैं। यहां 27 मार्च से 8 चरणों में चुनाव होंगे। पश्चिम बंगाल में 1,01,916 बूथ होंगे। यहां चुनाव की तरीख 27 मार्च, 1 अप्रैल, 6 अप्रैल, 10 अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल हैं। 2 मई को चुनाव परिणाम आएंगे। यहां पिछले 10 साल से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं।

पश्चिम बंगाल चुनाव 2021: चरणबद्ध शेड्यूल (294)
पोल इवेंट्स पहला चरण दूसरा चरण तीसरा चरण चौथा चरण पांचवां चरण छठा चरण सातवां चरण आठवां चरण
पोलिंग सीट 30 30 31 44 45 43 36 35
वोटिंग तारीख 27.03.2021 01.04.2021 06.04.2021 10.04.2021 17.04.2021 22.04.2021 26.04.2021 29.04.2021
मतगणना-नतीजे - 02.May.2021
April 23, 2021, 8:36 a.m.

West Bengal Election 2021: प्रधानमंत्री मोदी ने रद्द किया बंगाल दौरा रद्द, आज शाम 5 बजे करेंगे वर्चुअल रैली

West Bengal Election 2021, PM Narendra Modi, Virtual Rally: देशभर में कोरोना से मचे हाहाकार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पश्चिम बंगाल दौरा रद्द कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी अब पश्चिम बंगाल में वर्चुअल रैली करेंगे।

West Bengal Election Voting 2021: वोटरों में उत्साह, 5 बजे तक 79.09 प्रतिशत मतदान

West Bengal Election 2021: बंगाल में छठे चरण का मतदान, 4 जिलों की 43 सीटों पर वोटिंग

West Bengal Election 2021: बंगाल में छठे चरण के लिए चुनाव प्रचार का आखिरी दिन, मतदान 22 अप्रैल को वोटिंग

कोरोना के बढ़ते कहर के बावजूद पश्चिम बंगाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुलाई चुनावी रैलियां, देखें वीडियो

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लाइव अपडेट: पश्चिम बंगाल चुनाव 2021

मैप: पश्चिम बंगाल चुनाव रिजल्ट्स 2016

Trinamool
210 seats (71.5%)
Left Front + Congress
77 seats (26.2%)
Others
4 seats (1.4%)
Bharatiya Janata Party
3 seats (1.1%)
News

Tally

बंगाल विधानसभा चुनाव: पिछले दो साल का लेखा-जोखा किस पार्टी को कितनी सीटें

294कुल सीटें

2016
AITC CPM+CONG BJP Others
210 77 3 4
2011
AITC+CONG CPM NDA Others
185 104 3 2

Chart

2016

2011

टाइमलाइन: पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री (आजादी से लेकर अब तक )

ममता बनर्जी
20 मई-2011 से अब तक ममता बनर्जी

इनका जन्म 5 जनवरी, 1955 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। इनका संबंध एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से है। 1984 में सोमनाथ चटर्जी जैसे अनुभवी प्रतिद्वंदी को हराकर ममता बनर्जी पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में आईं। 1991 में पी.वी नरसिंह राव के कार्यकाल में ममता बनर्जी , मानव संसाधन विकास, खेल और युवा मामलों, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्य मंत्री नियुक्त की गईं। पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। कांग्रेस पार्टी से मतभेद होने के बाद ममता बनर्जी ने 1997 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। ये जब रेलमंत्री थीं तब 2011 में बंगाल में विधानसभा के चुनाव हुए। उस वक्त इनकी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और ये मुख्यमंत्री बनीं।

बुद्धादेब भट्टाचार्य
6 नवंबर 2000-13 मई 2011 बुद्धादेब भट्टाचार्य

इनका जन्म 1 मार्च 1946 में हुआ था। ये वर्ष 2000 से 2011 तक सीएम रहे। इन्होंने 1966 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली। साल 1996 में बुद्धदेव भट्टाचार्य को सूबे का गृह मंत्री बनाया गया। पश्चिम बंगाल में ये वो दौर था जब बुद्धदेव भट्टाचार्य के राजनीतिक सितारे सातवें आसमान पर थे। वर्ष 2006 में इनकी पार्टी बहुमत में थी। तब सिंगुर पर लिए गए एक फैसले ने ममता बनर्जी को बड़ा मौका दे दिया और उन्होंने भट्टाचार्य के किले में सेंध लगा दी। वर्ष 2011 में ये पूर्व मुख्य उपसचिव मनीष गुप्ता से अपनी ही सीट पर हार गए और सत्ता इनके हाथ से निकल गई।

ज्योति बसु
21 जून 1977-5 नवंबर 2000 ज्योति बसु

8 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल (यानी अब का बांग्लादेश) में जन्में ज्योति बसु बड़े वामपंथी नेता थे। इन्हें देश में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का गौरव प्राप्त है। ये 23 साल तक इस पद पर रहे। 1930 में इन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी में मेंबरशिप ली थी। 1977 से 2000 तक CPM के बैनर तले सीएम रहे। इन्हें तीन बार पीएम बनने का ऑफर मिला। ये बनना भी चाहते थे पर पार्टी इस बात के लिए राजी नहीं हुई। ऐसे में इनका पीएम बनने का सपना अधूरा रह गया।

सिद्धार्थ शंकर राय
20 मार्च 1972-30 अप्रैल 1977 सिद्धार्थ शंकर राय

इनका जन्म 20 अक्टूबर सन 1920 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ था। ये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देशबंधु चितरंजन दास के पोते थे। उनके पिता का नाम सुधीर कुमार राय तथा माता का नाम अपर्णा देवी था। कांग्रेस नेता अशोक कुमार सेन की मदद से सिद्धार्थ शंकर राय के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। ये 1986-89 तक पंजाब के राज्यपाल भी रहे। ये संविधान विशेषज्ञ थे। इंदिरा गांधी ने इमर्जेंसी के ठीक पहले सिद्धार्थ शंकर राय को बुलाया था। इन्होंने ही इंदिरा गांधी को बताया था कि वो अपनी सरकार बचाने के लिए इमर्जेंसी लगा सकती हैं। बताया ही नहीं बल्कि इस काम में पूरी मदद भी की।

अजय कुमार मुखर्जी
2 अप्रैल 1971-28 जून 1971 अजय कुमार मुखर्जी

इनका जन्म 15 अप्रैल 1901 में हुआ था। इन्हीं के समय कांग्रेस में फूट पड़ी और पार्टी के दो फाड़ हो गए। एक कांग्रेस तो दूसरी पार्टी बनी बांग्ला कांग्रेस। जब ये मुख्यमंत्री रहे तब बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। वहां हिंसा और हंगामे ने जगह ली। इन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। राज्यपाल से ठन गई और इन्हें हटा दिया गया। इसके बाद पूरे बंगाल में जमकर उत्पात हुआ। फिर सीएम बने पर गृह विभाग सीपीएम के पास था। बंगाल में लॉ एंड ऑर्डर चरमरा गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बंगाल चर्चा में आ गया।

अजय कुमार मुखर्जी
25 फरवरी 1969-16 मार्च 1970 अजय कुमार मुखर्जी

इनका जन्म 15 अप्रैल 1901 में हुआ था। इन्हीं के समय कांग्रेस में फूट पड़ी और पार्टी के दो फाड़ हो गए। एक कांग्रेस तो दूसरी पार्टी बनी बांग्ला कांग्रेस। जब ये मुख्यमंत्री रहे तब बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। वहां हिंसा और हंगामे ने जगह ली। इन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। राज्यपाल से ठन गई और इन्हें हटा दिया गया। इसके बाद पूरे बंगाल में जमकर उत्पात हुआ। फिर सीएम बने पर गृह विभाग सीपीएम के पास था। बंगाल में लॉ एंड ऑर्डर चरमरा गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बंगाल चर्चा में आ गया।

प्रफुल चन्द्र घोष
21 नवंबर 1967-19 फरवरी 1968 प्रफुल चन्द्र घोष

इनका जन्म 24 दिसंबर 1891 को ढाका जिले (बांग्लादेश की राजधानी) के मलिकंदा गांव में हुआ था। पिता का नाम पूर्ण चंद्र घोष और मां का नाम बिनोदिनी देवी है। स्वतंत्रता के बाद प्रफुल्लचंद्र घोष पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री बनाये गये। वर्ष 1983 में इनका देहावसान हो गया। 1948 में कांग्रेस पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद इन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन तुरंत पद छोड़ना पड़ा। खुद की पार्टी बनाकर संघर्ष किया और 1967 के बाद कांग्रेस के सहयोग से बनी सरकार में फिर मुख्यमंत्री बने।

अजय कुमार मुखर्जी
1 मार्च 1967-21 नवंबर 1967 अजय कुमार मुखर्जी

इनका जन्म 15 अप्रैल 1901 में हुआ था। इन्हीं के समय कांग्रेस में फूट पड़ी और पार्टी के दो फाड़ हो गए। एक कांग्रेस तो दूसरी पार्टी बनी बांग्ला कांग्रेस। जब ये मुख्यमंत्री रहे तब बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। वहां हिंसा और हंगामे ने जगह ली। इन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। राज्यपाल से ठन गई और इन्हें हटा दिया गया। इसके बाद पूरे बंगाल में जमकर उत्पात हुआ। फिर सीएम बने पर गृह विभाग सीपीएम के पास था। बंगाल में लॉ एंड ऑर्डर चरमरा गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बंगाल चर्चा में आ गया।

प्रफुल चन्द्र सेन
19 जुलाई 1962-28 फरवरी 1967 प्रफुल चन्द्र सेन

प्रफुल्लचंद्र सेन का जन्म 10 अप्रैल, 1897 में हुगली जिले के आरामबाग में हुआ था। वे महात्मा गांधी से प्रभावित थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी का साथ दिया। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान के कारण उन्हें 'आरामबाग का गांधी' कहा गया। स्वतंत्रता आंदोलन में प्रफुल्लचंद्र सेन 11 वर्ष तक जेल में भी रहे थे। माताओं और बच्चों को पर्याप्त दूध मिल सके इसके लिए इन्होंने बंगाल में रसगुल्ला बैन कर दिया था। इससे इनकी कुर्सी चली गई।

बिधान चन्द्र राय
23 जनवरी 1948- 1 जुलाई 1962 बिधान चन्द्र राय

इनका जन्म 1 जुलाई 1882 में हुआ था। ये पेशे से चिकित्सक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। इनका जन्म बिहार के बांकीपुर में एक प्रवासी बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता प्रकाश चंद्र रॉय डिप्टी मजिस्ट्रेट थे। माता अधोरकामिनी ने 35 साल की उम्र में ही स्वेच्छा से ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया था। उस वक्त विश्व भर के डॉक्टरों में उनका स्थान प्रमुख होने के साथ ही राजनीति में भी शिखर पर रहे। दिल का दौरा पड़ने से 1 जुलाई 1962 में इनकी मृत्यु हो गई। ये लगातार 14 साल तक मुख्यमंत्री रहे। इन्हें आजादी के बाद यूपी का राज्यपाल बनाया जा रहा था पर इन्होंने मना कर दिया। इनके सक्रिय रहते वामपंथी हमेशा विफल रहे। इनके जन्मदिन 1 जुलाई को चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन्हें 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

प्रफुल चन्द्र घोष
15 अगस्त 1947-22 जनवरी 1948 प्रफुल चन्द्र घोष

इनका जन्म 24 दिसंबर 1891 को ढाका जिले (बांग्लादेश की राजधानी) के मलिकंदा गांव में हुआ था। पिता का नाम पूर्ण चंद्र घोष और मां का नाम बिनोदिनी देवी है। स्वतंत्रता के बाद प्रफुल्लचंद्र घोष पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री बनाये गये। वर्ष 1983 में इनका देहावसान हो गया। 1948 में कांग्रेस पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद इन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन तुरंत पद छोड़ना पड़ा। खुद की पार्टी बनाकर संघर्ष किया और 1967 के बाद कांग्रेस के सहयोग से बनी सरकार में फिर मुख्यमंत्री बने।

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