अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने मंगलवार 9 दिसंबर 2025 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (इंडियन स्कूल ऑफ़ माइन्स), धनबाद के 100वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान दो बड़ी पहलों का खुलासा किया. उन्होंने भारत के युवाओं से देश के दूसरे स्वतंत्रता संग्राम आर्थिक और संसाधनों पर कब्जा करने की लड़ाई का नेतृत्व करने की अपील की.
पहली पहल, IIT–ISM धनबाद में अडाणी एनुअल इंटर्नशिप, हर साल तीसरे साल के उन स्टूडेंट्स को 50 पेड इंटर्नशिप देगी जो मेरिट और फिटमेंट क्राइटेरिया को पूरा करते हैं. इनमें से कम से कम 25% इंटर्न को प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिलेंगे.
अडाणी ने कहा कि हम ऐसे साथियों की तलाश नहीं कर रहे हैं जो मैनुअल को फॉलो करते हैं. हम ऐसे इनोवेटर्स की तलाश कर रहे हैं जो उन्हें फिर से लिखेंगे. हम आपके लिए अपनी सबसे मुश्किल समस्याएं लाएंगे, ऐसी समस्याएं जिन्हें दुनिया कहती है कि हल नहीं किया जा सकता और उनका स्वागत करेंगे जो उन्हें लेने को तैयार हैं.
दूसरी पहल अडाणी 3S माइनिंग एक्सीलेंस सेंटर है, जिसे TEXMiN के साथ पार्टनरशिप में बनाया गया है. इसे एक ऐसा इकोसिस्टम जहां जिम्मेदार माइनिंग, इनोवेशन और इंडस्ट्री-एकेडेमिया का सहयोग मिलता है, बताते हुए अडाणी ने कहा कि सेंटर में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी होंगी, जिसमें मेटावर्स लैब, ड्रोन फ्लीट, सिस्मिक सेंसिंग सिस्टम और प्रिसिजन ब्लास्टिंग शामिल हैं.
अडाणी ने आगे कहा कि हर साल, माइनिंग, एनर्जी या कोर इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा बदलाव लाने वाले आइडिया को कैंपस-वाइड हैकाथॉन के जरिए चुना जाएगा. अडाणी ग्रुप जीतने वाले कॉन्सेप्ट को फंडिंग, मेंटरशिप और असल दुनिया में लागू करने में मदद करेगा.
सॉवरेनिटी और कॉन्फिडेंस के लिए एक अपील
अडाणी ने स्टूडेंट्स से खुद को भारत के फ्रीडम फाइटर्स की अगली पीढ़ी के तौर पर देखने की अपील की और भारत के विकास के अगले फेज को उसके फ्रीडम मूवमेंट का अगला हिस्सा बताया.
उन्होंने कहा कि पहले फ्रीडम स्ट्रगल ने हमें पॉलिटिकल फ्रीडम दी. दूसरे को इकोनॉमिक सॉवरेनिटी देनी चाहिए. इस स्ट्रगल में, आप सिर्फ रिसोर्स नहीं निकाल रहे हैं — आप सॉवरेनिटी निकाल रहे हैं. आप सिर्फ मिनरल्स नहीं निकाल रहे हैं, आप डिग्निटी निकाल रहे हैं.
अपने सफर के बारे में बताते हुए, अडाणी ने कहा कि सफलता कभी मिलती नहीं है — इसे खोदकर निकाला जाता है. उन्होंने चेतावनी दी कि जैसे-जैसे एम्बिशन बढ़ते हैं, वैसे-वैसे दुनिया की अपनी पहचान बताने और अपनी सीमाएं तय करने की इच्छा भी बढ़ती है.
उन्होंने कहा कि आसमान को ठीक करने के लिए, आपको पहले धरती को मास्टर करना होगा. उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जहां भारत ग्लोबल स्टेज पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा हो — दूसरों से सहानुभूति, वैलिडेशन या परमिशन न मांगे. अडाणी ने भारत के युवाओं को एक मैसेज देते हुए अपनी बात खत्म की: बिना डरे सपने देखो, बिना रुके काम करो. और आओ हम अपने सपनों का भारत बनाएं.










