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Old vs New : अगर आप जॉब करते हैं तो जानें कौन से तरीके से बचा सकते हैं ज्यादा टैक्स?

Old Tax Regime vs New Tax Regime : इनकम टैक्स भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। टैक्स भरने की अभी दो व्यवस्थाएं हैं, पहली- पुरानी और दूसरी नई (Old Tax Regime vs New Tax Regime)। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो जानें दोनों में से कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए सही रहेगी:

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Apr 11, 2024 10:23
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टैक्स फाइल करने की दोनों व्यवस्थाओं को जानना जरूरी है

Old Tax Regime vs New Tax Regime : इनकम टैक्स भरने के लिए आप अपने जरूरी पेपर इकट्ठे करने शुरू कर दीजिए। वैसे तो 31 जुलाई तक इनकम टैक्स फाइल कर सकते हैं, लेकिन इसे जितना जल्दी फाइल कर दें, बेहतर है। इनकम टैक्स भरने की दोनों व्यवस्थाएं बेहतर हैं। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि आपकी सैलरी कितनी है और आप सालाना किन-किन स्कीम में कितने रुपये इन्वेस्ट करते हैं। आप दोनों में से कोई सी भी व्यवस्था चुन सकते हैं।

1. इतनी सैलरी पर टैक्स होगा जीरो

पुरानी व्यवस्था के अनुसार सालाना 5 लाख रुपये तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि अगर सैलरी 5 लाख रुपये से ज्यादा है तो रकम को कुछ स्कीम्स में निवेश करके टैक्स की देनदारी जीरो या कम की जा सकती है। वहीं नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार सालाना 7 लाख रुपये तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। नई टैक्स व्यवस्था में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि शख्स ने रकम कहां इन्वेस्ट की है और कहां नहीं।

2. छूट और कटौती

सालाना कमाई पर इनकम टैक्स की तरफ से कुछ छूट और कुछ कटौतियां की जाती है। हालांकि यह सैलरी और इन्वेस्टमेंट पर निर्भर करता है। इसे ऐसे समझें:

  • पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत 50 हजार रुपये तक की HRA में छूट मिलती है। जबकि नई व्यस्था में ऐसी कोई छूट नहीं है।
  • पुरानी और नई दोनों व्यवस्थाओं में कुल सालाना कमाई में 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है।
  • होम लोन की ब्याज पर पुरानी टैक्स व्यवस्था में छूट मिलती है जबकि नई में नहीं मिलती।
  • 80C के अंतर्गत आने वाली स्कीम जैसे लाइफ इंश्योरेंस, सुकन्या समृद्धि योजना, कन्यादान जैसी स्कीम में रकम निवेश करने पर नई टैक्स व्यवस्था में कोई छूट नहीं मिलती। हेल्थ इंश्योरेंस लेने पर भी टैक्स में छूट नहीं मिलती।
  • नई टैक्स व्यवस्था में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करके कुछ छूट पा सकते हैं।

3. टैक्स स्लैब में रियायत

अगर टैक्स स्लैब की बात करें तो नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स पेयर्स को कुछ रियायत दी गई हैं। पुरानी व्यवस्था में जहां 4 ही टैक्स स्लैब हैं तो वहीं नई टैक्स व्यवस्था में 6 टैक्स स्लैब हैं।

4. नई टैक्स व्यवस्था में सरचार्ज में भी छूट

नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स सरचार्ज में भी छूट दी गई है। अगर हम पुरानी टैक्स व्यवस्था की बात करें तो 50 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्सेबल इनकम पर 10 फीसदी सरचार्ज, 1 करोड़ से ज्यादा पर 15 फीसदी, 2 करोड़ से ज्यादा पर 25 फीसदी और 5 करोड़ से ज्यादा पर 37 फीसदी सरचार्ज देना होता है। वहीं नई टैक्स व्यवस्था में 50 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्सेबल इनकम पर 10 फीसदी, 1 करोड़ से ज्यादा पर 15 फीसदी और 2 करोड़ से ज्यादा पर 25 फीसदी ही सरचार्ज देना होगा। इसका मतलब हुआ कि जिनकी सालाना सैलरी 5 करोड़ से ज्यादा है उनके लिए नई टैक्स व्यवस्था बेहतर है।

यह भी पढ़ें : Income Tax Rebate: काम की बात! इनकम टैक्स भरने पर चाहिए छूट? जानें एक्सपर्ट की राय

5. नई व्यवस्था इनके लिए है सही

  • नई नौकरी है। सैलरी कम है और रकम कहीं इन्वेस्ट नहीं की है।
  • पुराने एम्प्लॉई, जिन्होंने किसी भी प्रकार का इन्वेस्टमें नहीं किया है और न ही उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई लोन है।
  • टैक्सपेयर टैक्स की इन व्यवस्थाओं में से किसी को भी हर साल बदल सकते हैं।

 

First published on: Apr 11, 2024 10:23 AM

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