भारत की सबसे बड़ी एकीकृत परिवहन कंपनी, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड), प्रकृति-संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण (टीएनएफडी) टास्कफोर्स में एक अंगीकारकर्ता के रूप में शामिल हो गई है और वित्तीय वर्ष 2026 से प्रकृति-संबंधी रिपोर्टिंग शुरू करने का संकल्प लिया है.
अडाणी पोर्ट्स एंड लॉजिस्टिक्स द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी का यह कदम व्यावसायिक प्रथाओं को वैश्विक स्थिरता मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक कदम है. टीएनएफडी ढांचे को अपनाने वाली भारत की पहली एकीकृत परिवहन कंपनी बनकर, एपीएसईजेड का उद्देश्य यह पहचानना और प्रकट करना है कि उसके संचालन प्रकृति पर कैसे निर्भर करते हैं और उसे कैसे प्रभावित करते हैं, साथ ही संबंधित जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन भी करना है.
टीएनएफडी, एक विज्ञान-आधारित वैश्विक पहल है, जिसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल (यूएनईपी एफआई), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) और ग्लोबल कैनोपी सहित संगठनों द्वारा की गई थी. यह कंपनियों को वित्तीय और व्यावसायिक निर्णय लेने में प्रकृति-संबंधी विचारों को एकीकृत करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है.
इस पहल के जरिए, APSEZ जैव विविधता को बढ़ावा देने और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा के लिए काम कर रहे वैश्विक बंदरगाह संचालकों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है. कंपनी ने कहा कि यह कदम पारदर्शी और विज्ञान-आधारित पर्यावरणीय प्रकटीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और उसकी मौजूदा पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन (ESG) रणनीति पर आधारित है.
अपनी प्रतिज्ञा के तहत, APSEZ वित्त वर्ष 26 से TNFD की सिफारिशों के अनुरूप अपनी कॉर्पोरेट रिपोर्टिंग को बेहतर बनाने की योजना बना रहा है. कंपनी ने कहा कि यह दृष्टिकोण ज़िम्मेदार विकास और पर्यावरणीय प्रबंधन पर उसके दीर्घकालिक फोकस को दर्शाता है.
APSEZ के पूर्णकालिक निदेशक और सीईओ अश्विनी गुप्ता ने कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि ज़िम्मेदार व्यावसायिक व्यवहार दीर्घकालिक सफलता को गति प्रदान करते हैं. TNFD ढांचे को अपनाना COP30 में प्रकृति-संबंधी कॉर्पोरेट रिपोर्टिंग के लिए हमारे समर्थन को दर्शाता है. हम प्रकृति-संबंधी मुद्दों को एक रणनीतिक जोखिम प्रबंधन प्राथमिकता के रूप में देखते हैं. TNFD ढांचा हमारी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रकृति को एकीकृत करने और जैव विविधता संरक्षण में हमारे योगदान को बढ़ाने के लिए मज़बूत सपोर्ट देता है.
कंपनी ने बताया कि उसने पहले ही विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ढांचों के अनुरूप जलवायु जोखिम मूल्यांकन और प्रकटीकरण प्रथाओं को अपना लिया है. पिछले कुछ वर्षों में, एपीएसईजेड ने अपनी पर्यावरणीय पहलों का विस्तार किया है, जिसमें 4,200 हेक्टेयर से अधिक मैंग्रोव का वनीकरण और 3,000 हेक्टेयर का एक्टिव संरक्षण शामिल है, जिससे यह भारत में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के पुनरुद्धार में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया है.










