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Navratri 2022: नवरात्रि के 7वें दिन इन मंत्रों के साथ करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें कथा

Navratri 2022: आज नवरात्र का सातवां दिन है। इसे महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने वाले साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है। मां कालरात्रि […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Oct 3, 2022 13:53
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Chaitra Navratri 2023, Kaalratri Mata

Navratri 2022: आज नवरात्र का सातवां दिन है। इसे महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने वाले साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है।

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क्यों कहा जाता है कालरात्रि

अब आपको बताएंगे कि आखिर मां का नाम काली क्यो पड़ा। भगवान शंकर ने एक बार देवी को काली कह दिया था, तभी से इनका एक नाम काली भी पड़ गया। इनके नाम के उच्चारण से ही भूत, प्रेत, राक्षस, दानव और सभी पैशाचिक शक्तियां भाग जाती हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप काला है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इनके नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि।

इस देवी के तीन नेत्र हैं । ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए इन्हें शुभकारी भी कहा जाता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं।

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ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा?

मां कालरात्रि की पूजा सुबह चार से 6 बजे तक करनी चाहिए। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। माता काली को गुड़हल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत से तिलक कर पूजन करना चाहिए और मां काली का ध्यान कर वंदना श्लोक का उच्चारण करना चाहिए| पाठ समापन के पश्चात माता को गुड़ का भोग भी लगा सकते है या ब्राह्मण को गुड़ दान कर सकते हैं।

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First published on: Oct 02, 2022 06:10 AM

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