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मां दुर्गा के इस स्तोत्र से टल जाती है मृत्यु, हार जाते हैं शत्रु भी, जानिए कैसे होता है चमत्कार

Siddha Kunjika Stotram: शास्त्रों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को मां भगवती की कृपा और भक्ति प्राप्त करने का सबसे सरल साधन बताया गया है। इसका पाठ करने वाले भक्तों के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता। समस्त ग्रह भी उनके अधीन हो जाते हैं और वे जो कुछ भी कह देते हैं, वही सत्य […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Mar 27, 2023 18:07
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Siddha Kunjika Stotram: शास्त्रों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को मां भगवती की कृपा और भक्ति प्राप्त करने का सबसे सरल साधन बताया गया है। इसका पाठ करने वाले भक्तों के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता। समस्त ग्रह भी उनके अधीन हो जाते हैं और वे जो कुछ भी कह देते हैं, वही सत्य हो जाता है।

पंडित कमलेश शास्त्री के अनुसार यह अत्यन्त गोपनीय तंत्र प्रयोग है। इसका विधान रुद्रयामल के गौरी तंत्र के अन्तर्गत बताया गया है। इसका प्रयोग अचूक होता है और व्यक्ति के समस्त कष्टों को यूं खत्म कर देता है जैसे तेज हवा चलने से बादल उड़ जाते हैं। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का प्रयोग अक्सर मारण, मोहन, वशीकरण जैसे कठिन कार्यों को करने के लिए किया जाता है।

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कब होता है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का प्रयोग

जब भी व्यक्ति पर ऐसा संकट आ जाए कि कोई दूसरा उपाय शेष न रहें, मरने-मारने की नौबत आ जाएं, तभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का उपयोग किया जाता है। इससे मां चण्डी प्रसन्न होकर भक्तों के समस्त मनोरथ पूर्ण करती हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले दीक्षा लेना अनिवार्य है, अन्यथा यह निष्फल हो जाती है या अहित हो सकता है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र इस प्रकार है-

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram)

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

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अथ मंत्र 

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।

धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।

– पंडित कमलेश शास्त्री

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Mar 27, 2023 04:13 PM

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