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मनुष्य की आत्मा कब करती है प्रेत योनि में प्रवेश, गरुड़ पुराण में बताई गई ये बात

Garuda Purana: सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का बहुत ही अधिक महत्व होता है। इस पुराण में जन्म से लेकर मृत्यु तक सारी बातें बताई गई है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और पक्षीराज गरुड़ के संवाद के बारे में बताया गया है। इस ग्रंथ में पाप-पुण्य, नीति-नियम, आत्मा, पुनर्जन्म, मृत्यु और जन्म आदि के […]

Garuda Purana
Garuda Purana: सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का बहुत ही अधिक महत्व होता है। इस पुराण में जन्म से लेकर मृत्यु तक सारी बातें बताई गई है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और पक्षीराज गरुड़ के संवाद के बारे में बताया गया है। इस ग्रंथ में पाप-पुण्य, नीति-नियम, आत्मा, पुनर्जन्म, मृत्यु और जन्म आदि के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस व्यक्ति की आत्मा मनुष्य योनी से प्रेत योनि में कैसे प्रवेश करती है। इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

जानें क्या है प्रेत योनि

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आत्मा उसके शरीर को त्याग करती है। आत्मा जब शरीर त्याग करती है, तो उसमें भूख, प्यास, क्रोध, वासना और द्वेष आदि का भाव आने लगता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इस सृष्टी में कुल 84 लाख योनियों हैं। जिसमें पशु योनि, वृक्ष योनि, किड़े-मकौड़े की योनि और मनुष्य की योनि आदि होते हैं। ऐसी मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसकी आत्मा किस योनि में जाएगी उसके कर्मों पर निर्भर करता है। यह भी पढ़ें- इन उपायों से आप भी पा सकते हैं अपनी मनपसंद नौकरी, बस अपनाएं ये चमत्कारी टोटके गरुड़ पुराण के अनुसार, बुरे कर्मों वाले लोगों की आत्मा मृत्यु लोक में ही भटकती रहती है। वहीं जिस व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या,  हत्या या किसी दुर्घटना आदि के कारण होती है, तो वैसे व्यक्ति की आत्मा शरीर को प्राकृतिक रूप से त्याग नहीं करती है, तो उस समय आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है।

जानें प्रेत योनि का क्या है रहस्य

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की अचानक या किसी दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है तो उसके आत्मा को शांति नहीं मिलती है। ऐसे में आत्मा प्रेत योनि में भटकती रहती है। इसके साथ ही जब किसी व्यक्ति की आत्मा अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से त्याग नहीं करती है, तो उस समय भी आत्मा प्रेत योनि में भटकती रहती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा करने के पितरों की आत्मा की शांति मिलती है। यह भी पढ़ें- गरुण पुराण में हैं योग्य संतान प्राप्ति के चमत्कारी उपाय, जानें किन नियमों का करना होता है पालन डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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