Durga Saptashati: मां दुर्गा के ये 32 नाम दिलाएंगे हर कष्ट से मुक्ति, होंगे देवी के दर्शन

Durga Saptashati: इन मंत्रों का यदि सही विधान के साथ पुरश्चरण किया जाए तो व्यक्ति समस्त संकटों से मुक्त हो सकता है।

Durga Saptashati: दुर्गा सप्तशती में कई ऐसे मंत्र दिए गए हैं जो तत्काल प्रभाव दिखाते हैं। इन मंत्रों का यदि सही विधान के साथ पुरश्चरण किया जाए तो व्यक्ति समस्त संकटों से मुक्त हो सकता है। दुर्गा बत्तीस नामावली स्तोत्र भी इसी प्रकार का एक मंत्र है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार इस मंत्र का प्रयोग असंभव को भी संभव कर देता है।

क्या है दुर्गा 32 नामावली स्तोत्र (Durga Saptashati and Durga 32 Naam Stotra)

दुर्गासप्तशती में दुर्गाजी के 12 नामों को एक मंत्र के स्वरूप में पिरोया गया है। ये नाम हैं- 1. दुर्गा, 2. दुर्गार्तिशमनी, 3. दुर्गापद्विनिवारिणी, 4. दुर्गमच्छेदिनी, 5. दुर्गसाधिनी, 6. दुर्गनाशिनी, 7. दुर्गतोद्धारिणी, 8. दुर्गनिहन्त्री, 9. दुर्गमापहा, 10. दुर्गमज्ञानदा, 11. दुर्गदैत्यलोकदवानला, 12. दुर्गमा, 13. दुर्गमालोका, 14. दुर्गमात्मस्वरूपिणी, 15. दुर्गमार्गप्रदा, 16. दुर्गमविद्या, 17. दुर्गमाश्रिता, 18. दुर्गमज्ञानसंस्थानी, 19. दुर्गमध्यानभासिनी, 20. दुर्गमोहा, 21. दुर्गमगा, 22. दुर्गमार्थस्वरूपिणी, 23. दुर्गमासुरसंहन्त्री, 24. दुर्गमायुधधारिणी, 25. दुर्गमाङ्गी, 26. दुर्गमता 27. दुर्गम्या, 28. दुर्गमेश्वरी, 29. दुर्गभीमा, 30. दुर्गभामा, 31. दुर्गभा, 32. दुर्गदारिणी।

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शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी मनुष्य इस मां दुर्गा की इस नाममाला का पाठ करता है, वह निःसंदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। यदि कोई शत्रुओंसे पीड़ित हो अथवा दुर्भेद्य बन्धन में पड़ा हो, इन बत्तीस नामों के पाठ मात्र से संकट से छुटकारा पा जाता है।

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यदि भाग्यवश राजा क्रोध में भरकर वध करने या किसी अन्य प्रकार की कठोर सजा की आज्ञा दे अथवा युद्ध में शत्रुओं द्वारा मनुष्य घिर जाय अथवा वन में व्याघ्र आदि हिंसक जन्तुओं के चंगुल में फंस जाए, तो इन बत्तीस नामों का एक सौ आठ बार पाठ मात्र करने से वह सम्पूर्ण भयों से मुक्त हो जाता है। विपत्ति के समय इसके समान भयनाशक उपाय दूसरा नहीं है।

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इस नाममाला का पाठ करनेवाले मनुष्यों की कभी कोई हानि नहीं होती। सच्चे मन और भक्तिभाव से इन अनुष्ठान को करने वाले को मां अपने दर्शन भी देती है।

विद्वानों के अनुसार अभक्त, नास्तिक और शठ मनुष्य को कभी भी इसका उपदेश नहीं देना चाहिये। जो भारी विपत्ति में पड़ने पर इस नामावली का हजार, दस हजार अथवा लाख बार पाठ स्वयं करता है या ब्राह्मणों से करवाता है, वह सब प्रकार की आपत्तियों से मुक्त हो जाता है।

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सिद्ध अग्रि में मधुमिश्रित सफेद तिलों से इन नामों द्वारा लाख बार हवन करे तो मनुष्य सब विपत्तियों से छूट जाता है। इस नाममाला का पुरश्चरण तीस हजार का है। पुरश्चरणपूर्वक पाठ करने से मनुष्य इसके द्वारा सम्पूर्ण कार्य सिद्ध कर सकता है।

कैसे करें इनका प्रयोग

सर्वप्रथम दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के इस नामस्तोत्र को पुरश्चरण करके सिद्ध करना होगा। इसके लिए मां दुर्गा की मिट्टी से सुंदर अष्टभुजा मूर्ति बनाए। उन आठों भुजाओं में क्रमशः गदा, खड्ग, त्रिशूल, बाण, धनुष, कमल, खेटक (ढाल) और मुद्गर धारण कराने चाहिए। मां के मस्तक में चन्द्रमा का चिह्न हो, उनके तीन नेत्र हो, लाल वस्त्र धारण किए सिंह के कंधे पर सवार हो।

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इस प्रकार रुप धारण किए वह अपने शूल से महिषासुर का वध कर रही हो। ऐसी प्रतिमा बनाकर देवी का पूर्ण भक्तिभाव से पूजन करना चाहिए। तत्पश्चात् दुर्गाजी के उक्त नामों से लाल कनेर के फूल चढ़ाते हुए सौ बार पूजा करे और मन्त्र जप करते हुए पूए से हवन करे। पूर्णत शुद्ध, शाकाहारी उत्तम पदार्थ से भोग लगावे। इस प्रकार उपाय करने से मनुष्य असाध्य कार्य को भी सहज ही सिद्ध कर लेता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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