Temple Of Maa Sita Without Idol of Lord Rama: दिवाली का त्योहार भगवान राम और मां सीता के वनवास के लौटकर अयोध्या आने की खुशी मनाया जाता है। पूरे देश में लगभग हर मंदिर में भगवान राम और मां सीता की पूजा साथ-साथ होती है, लेकिन देश में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां सिर्फ मां सीता की पूजा होती है। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति ही नहीं है। बल्कि मां सीता अपने दोनों बच्चों लव-कुश को समर्पित हैं। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और इसे फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। यह अनोखा मंदिर एकल मातृत्व का प्रतीक है। इस मंदिर को साल 2001 में किसान समूह शेतकारी संगठन के संस्थापक शरद जोशी ने स्थापित किया था।
‘ASHOK VATIKA’
This is the place in Sri Lanka where Sita Mata was held captive by arrogant King Ravaan
---विज्ञापन---Mata Sita Amman Temple (Sita Eliya) Sri Lanka in mountainous region of Sri Lanka
A stone from Sita Eliya will feature in Ram Mandir Ayodhya
Bolo Jai Siya Ram 🙏🏻🚩 pic.twitter.com/plRu7X6smJ
— Ashish Jaggi (@AshishJaggi) November 5, 2021
श्रीलंका में भी मां सीता का अनोखा मंदिर
बता दें कि मंदिर के जीर्णोद्धार के तहत मौसम की मार झेल चुकी मूर्ति को एक नई नक्काशीदार पत्थर की प्रतिकृति से बदल दिया गया है। पूरे गांव ने 7 नवंबर को मंदिर को फिर से खोलने के लिए आयोजित समारोह में हिस्सा लिया। मंदिर के संस्थापक शरद जोशी ने ही मंदिर को फिर से श्रद्धालुओं को समर्पित किया। बता दें कि भारत ही नहीं, श्रीलंका में भी सीता मैया का बेहद अनोखा मंदिर है, जिसे सीता अम्मा मंदिर के नाम से लोग जानते हैं। इस मंदिर में भी माता सीता की आराधना बिना राम के होती है। अशोक नगर के करीला में स्थित जानकी मंदिर जिला मुख्यालय से कुल 35 किलोमीटर दूर निर्जन पहाड़ पर बना है। यहां माता सीता अपने दोनों पुत्रों लव और कुश के साथ विराजमान हैं, लेकिन इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति नहीं है।
जहां मंदिर बना, वहीं लव-कुश का जन्म हुआ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका का करीला शहर कोई साधारण जगह नहीं है। इसका इतिहास भगवान राम से जुड़ा है। लंका से लौटने के बाद जब भगवान राम अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासियों की बातों में आकर भगवान राम ने मां सीता का त्याग कर दिया था। तब लक्ष्मण जी मां सीता को करीला में ही एक निर्जन वन में छोड़कर चले गए थे। इसी वन में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था, जहां मां सीता ने जीवन बिताया। यहीं पर पुत्रों को जन्म दिया, जिन्होंने दीक्षा भी यहीं ली। यहीं पर लव कुश ने भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़कर बांध लिया था। इस मंदिर में हर रंग पंचमी पर विशाल मेला लगता है। लव कुश के जन्म पर अप्सराओं ने स्वर्ग से उतरकर बधाई नृत्य किया था, तभी से यहां हर रंग पचंमी पर मेला लगने का चलन है।