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Chhath Puja 2022: इस बार कब से है छठ पूजा, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नई दिल्‍ली: आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) नजदीक है। इस साल महापर्व छठ 28 अक्टूबर 2022 से नहाए-खाए से साथ शुरू होगा। वहीं 29 अक्टूबर 2022 को खरना है। जबकि 30 अक्टूबर को शाम में अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा वहीं 31 अक्टूबर को सुबह में उगते सूर्य को […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Oct 27, 2022 14:56
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नई दिल्‍ली: आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) नजदीक है। इस साल महापर्व छठ 28 अक्टूबर 2022 से नहाए-खाए से साथ शुरू होगा। वहीं 29 अक्टूबर 2022 को खरना है। जबकि 30 अक्टूबर को शाम में अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा वहीं 31 अक्टूबर को सुबह में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन हो जाएगा।

छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें डूबते हुए सूरज की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले व्रत में महिलाएं संतान की लंबी उम्र के लिए 36 घंटों का निर्जला उपवास रखती हैं।

छठ महापर्व (Chhath Puja 2022) की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस दिन कद्दू-भात खाने की मान्यता है। लिहााज नहाय-खाय को कद्दू-भात के नाम से भी जाना जाता है। छठ तिथि से दो दिन पहले चतुर्थी तिथि पर पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन पूजा-पाठ के बाद शुद्ध सात्विक भोजन किया जाता है। इसी से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है।

इस वर्ष यह त्योहार 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। 28 अक्टूबर को नहाय खाय, 29 अक्टूबर को खरना, 30 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 31 अक्टूबर को उषा अर्घ्‍य के साथ इसका समापन होगा। इन 4 दिनों तक सभी लोगों को कड़े नियमों का पालन करना होता है। इन 4 दिनों में छठ पूजा से जुड़े कई प्रकार के व्‍यंजन, भोग और प्रसाद बनाए जाते हैं। हिन्दू आस्था का यह एक ऐसा पर्व है जिसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। इस पूजा में छठी मईया के लिए व्रत किया जाता है। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है।

ये रहा छठ पूजा का पूरा कार्यक्रम

  • पहले दिन 28 अक्टूबर को चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर उबले अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी ही भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, इसे कद्दू-भात भी कहा जाता है।
  • 29 अक्टूबर पंचमी को खरना है। इस दिन शाम को व्रति विधि विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करती है और फिर पूजा के बाद सूर्य भगवान को स्मरण कर प्रसाद लेंगी। इस पूजा को खरना कहा जाता है। उपासक व्रत के एक दिन पहले से ही बिस्तर का त्याग कर जमीन पर सोते हैं।
  • 30 अक्टूबर की शाम को डूबते हुए शूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 30 अक्टूबर को शाम 5.37 बजे अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त है।
  • 31 अक्टूबर की सुबह को उगते हुए शूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 31 अक्टूबर को सुबह 6.31 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त है।

छठ पूजा के दौरान छठ माता के लिए निर्जला व्रत किया जाता है यानी व्रत करने वाले लोग करीब 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीते हैं। आमतौर पर ये व्रत महिलाएं ही करती हैं। इसकी शुरुआत पंचमी तिथि पर खरना करने के बाद होती है। खरना यानी तन और मन का शुद्धिकरण। इसमें व्रत करने वाला शाम को गुड़ या कद्दू की खीर ग्रहण करता है।

इसके बाद छठ पूजन पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। छठ तिथि की सुबह छठ माता का भोग बनाया जाता है और शाम डूबते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद सप्तमी की सुबह फिर से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह 36 घंटे का व्रत पूरा होता है।

First published on: Oct 26, 2022 04:35 PM

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