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Chanakya Niti: चाणक्य की इन बातों का रखेंगे ध्यान तो जीवन में कोई नहीं हरा पाएगा

Chanakya Niti: भारतीय इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य चाणक्य ने अकेले होते हुए भी तत्कालीन भारत के सबसे बड़े राज्य मगध के साम्राज्य को नष्ट कर दिया था। यही नहीं, उन्होंने चन्द्रगुप्त को उस समय का सबसे शक्तिशाली सम्राट बना दिया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की। […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: May 26, 2023 18:47
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Chanakya Niti: भारतीय इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य चाणक्य ने अकेले होते हुए भी तत्कालीन भारत के सबसे बड़े राज्य मगध के साम्राज्य को नष्ट कर दिया था। यही नहीं, उन्होंने चन्द्रगुप्त को उस समय का सबसे शक्तिशाली सम्राट बना दिया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की। इनमें उन्होंने न केवल राजनीति, धर्म और समाजशास्त्र के बारे में बताया बल्कि आम जनजीवन में आने वाली समस्याओं को भी दूर करने के उपाय बताए।

आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथों में कई बहुत ही साधारण लेकिन अत्यन्त महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। इन बातों को जीवन में उतार लिया जाए तो व्यक्ति को कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। जानिए चाणक्य नीति में दी गई ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में

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जानिए Chanakya Niti की कुछ महत्वपूर्ण बातें

नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् ।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ॥

चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपने व्यवहार में बहुत ही भोला या सरल ह्रदय नहीं होना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को सदैव नुकसान होता है। ध्यान रहें कि जंगल में सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं, जबकि आड़े या तिरछे पेड बच जाते हैं।

कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥

अर्थात् विद्या कामधेनु गाय के समान है जो प्रत्येक परिस्थिति और मौसम में व्यक्ति को अमृत प्रदान करती है। वह व्यक्ति का माता के समान रक्षण करती है। अतः विद्या को गुप्त धन कहा गया है।

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यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि ॥

अर्थात् कभी भी निर्णय लेते समय सही और गलत की पहचान करना न भूलें। जो व्यक्ति निश्चित को गलत मान कर अनिश्चित पर दांव लगाता है, उसका सभी कुछ नष्ट हो जाता है। यानि व्यक्ति को बिना सोचे-समझे निर्णय नहीं लेना चाहिए।

आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च ।
पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥

चाणक्य के अनुसार किसी व्यक्ति को कितनी आयु, कर्म, धन तथा विद्या प्राप्त होगी, यह सब बातें उसकी माता के गर्भ में आने से पहले निश्चित हो जाती हैं। कोई व्यक्ति चाहकर भी इन्हें नहीं बदल सकता।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: May 26, 2023 05:50 PM

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