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एकादशी पर ऐसे करें मां काली की पूजा तो पूर्ण होंगे सारे मनोरथ, रोग-शोक-दुख भी नष्ट होंगे

Bhadrakali Ekadashi: दस महाविद्याओं में प्रथमा और प्रमुख महाविद्या मां भगवती काली के अनेकों रूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (अपरा एकादशी) को भद्रकाली का प्राकट्य होने के कारण इसे भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा करने से […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: May 9, 2023 17:52
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Bhadrakali Ekadashi: दस महाविद्याओं में प्रथमा और प्रमुख महाविद्या मां भगवती काली के अनेकों रूप हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (अपरा एकादशी) को भद्रकाली का प्राकट्य होने के कारण इसे भद्रकाली एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त दुख, दर्द, रोग, शोक का नाश हो जाता है।

कब है भद्रकाली एकादशी तिथि, मुहूर्त (Bhadrakali Ekadashi Date Muhurat)

पंचांग के अनुसार भद्रकाली एकादशी इस वर्ष 15 मई 2023 को आएगी। इस दिन वृषभ संक्रान्ति भी मनाई जाएगी। सूर्य इसी दिन मेष से वृषभ राशि में प्रवेश करेगा। एकादशी 15 मई को सुबह ब्रह्ममुहूर्त से पूर्व 2.46 बजे आरंभ होगी। इसका समापन 15 मई की अर्द्धरात्रि बाद यानि 15-16 मई को 1.03 बजे होगा।

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कैसा रुप है मां भद्रकाली का

भद्रकाली स्वरूप को मां के समस्त स्वरूपों में सर्वाधिक सौम्य माना गया है। इस रुप में वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं तथा उनके समस्त मनोरथ पूर्ण करती है। इस दिन यदि भगवान शिव के साथ भद्रकाली की पूजा की जाए तो व्यक्ति अपने बड़े से बड़े संकल्प को भी पूर्ण कर सकता है।

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कैसे करें मां काली की पूजा (How to Worship Maa Kali)

वैसे तो आद्यशक्ति महाकाली को प्रसन्न करने के लिए केवल भाव ही पर्याप्त है। परन्तु कुछ विशेष मंत्रों एवं अनुष्ठानों के द्वारा उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान गणपति की पूजा करें। इसके बाद अपने गुरु तथा इष्टदेव की पूजा करें एवं मन ही मन उनसे अनुष्ठान सफल होने का आशीर्वाद लें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें और अब मां काली की पूजा करें। उन्हें चंदन, लाल पुष्प, लाल वस्त्र, हलवे का प्रसाद, फल आदि अर्पित करें। इसके बाद उनके मंत्र का अधिकाधिक जप करें।

यदि आपने किसी योग्य गुरु से काली दीक्षा ली हुई है तो गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जप करें। अन्यथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करें अथवा मां काली के बीज मंत्र ‘क्रीं’ का अधिक से अधिक जप करें। पूजा के अंत में अपने समस्त गुण-दोषों तथा अपराधों के लिए उनसे क्षमा प्रार्थना करें। साथ ही मां काली से अपना मनोरथ पूर्ण करने का आग्रह करें।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: May 09, 2023 05:51 PM

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