राजस्थान का अनोखा गांव जहां हिन्दू-मुस्लिम का एक ही सरनेम

Ashutosh Ojha

गांव का नाम

राजस्थान के नागौर जिले के मुंडवा तहसील में स्थित इनाणा गांव साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का अद्भुत उदाहरण है। 

सरनेम के रूप में "ईनाणिया"

इस गांव के लोग अपने नाम के आगे जाति या धर्म का नाम नहीं, बल्कि अपने गांव का नाम "ईनाणिया" लगाते हैं। इस परंपरा के चलते यह गांव सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन गया है।

664 साल पुराना इतिहास

गांव की स्थापना 664 साल पहले वर्ष 1358 में इंदर सिंह नामक व्यक्ति ने की थी। उनके नाम पर ही यहां के लोग नाम के आगे "ईनाणिया" सरनेम लगाने लगे। यह परंपरा आज तक चली आ रही है।

आधार कार्ड में भी "ईनाणिया"

गांव के हर व्यक्ति का नाम उनके आधार कार्ड में भी ईनाणिया सरनेम के साथ दर्ज है। यह परंपरा सभी जातियों के लोग निभाते हैं।

शराब पर प्रतिबंध

गांव में सार्वजनिक रूप से शराब पीने पर 11 हजार रुपये का जुर्माना है और यह राशि गौशाला में दी जाती है।

20 सालों से नहीं बजा डीजे

गांव में 20 सालों से डीजे बजाने पर प्रतिबंध है, ताकि शोरगुल से पशु-पक्षियों को कोई परेशानी न हो। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए त्योहारों पर पटाखे और रंग का उपयोग सीमित किया जाता है।

समाज के लिए रोल मॉडल

इनाणा गांव की परंपराएं इसे आस-पास के गांवों के लिए रोल मॉडल बनाती हैं। यहां के लोग सामाजिक एकता, पर्यावरण संरक्षण, और धार्मिक सद्भाव का आदर्श उदाहरण पेश कर रहे हैं।

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